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प्रदेश 72 लाख मनरेगा मजदूरों को मजदूरी का भुगतान खाते में नहीं

भोपाल
राज्य सरकार के करप्शन मुक्त भुगतान प्रणाली को फील्ड में काम कर रहे अफसरों की लापरवाही से पूरा नहीं होने दिया जा रहा है। यह स्थिति राज्य सरकार की योजनाओं के साथ केंद्र की मनरेगा योजना के मामले में भी है जो कोरोना संक्रमण के बुरे दौर में केंद्र व राज्य सरकार की प्रशंसा पाने वाली स्कीम में गिनी जाती रही है।

अजब, अनूठे, रहस्यमय एवं रोमांच से भरे गाँवों की कहानियां –

स्थिति यह है कि फील्ड में काम करने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों ने मनरेगा के 72 लाख एक्टिव लेबर का भुगतान सीधे खाते में आने से रोक रखा है जबकि सरकार इसके लिए करीब साढ़े छह साल से निर्देश दे रही है।

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जिलों में पदस्थ अधिकारियों को मनरेगा मजदूरों के खाते आधार से लिंक कराने के लिए कई बार पत्र भी लिखे गए हैं लेकिन 1.09 करोड़ एक्टिव मनरेगा मजदूरों में से सिर्फ 37.86 लाख श्रमिकों के खाते आधार लिंक किए गए हैं और उनके खातों में सीधे मजदूरी का भुगतान हो रहा है।

कई पत्र लिखे

मनरेगा योजना में नरेगा साफ्ट में जॉबकार्ड धारक श्रमिकों के आधार नम्बर दर्ज करने के निर्देश राज्य शासन द्वारा सभी जिलों के कार्यक्रम समन्वयक और अतिरिक्त कार्यक्रम समन्वयकों को एक अगस्त 2016 को दिए गए थे।

इसके बाद से लगातार पत्र लिखकर यह काम पूरा करने के लिए कहा जाता रहा है लेकिन एक्टिव लेबर के विरुद्ध की गई आधार सीडिंग का प्रतिशत 93.39 और आधार आधारित भुगतान का प्रतिशत 32.18 प्रतिशत तक ही अब तक पहुंच पाया है।

जिलेवार की गई आधार सीडिंग में भी सिंगरौली, दमोह, भिंड, निवाड़ी और सागर जिलों में एक्टिव लेबर की तुलना में आधार सीडिंग का प्रतिशत 90 से कम है। पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग ने इस पर आपत्ति जताते हुए इसमें सुधार के लिए लिखा है।

इसमें कहा गया है कि 3.15 लाख श्रमिकों के परिवार बंटने और 18724 श्रमिकों का पलायन हो जाने के से बनाए गए नवीन जॉबकार्ड में आधार सीडिंग प्रविष्टि नहीं हो पा रही है। इसलिए इसे जल्द दुरुस्त कराने का काम किया जाए।
दिसंबर तक का दिया समय

सूत्रों के अनुसार प्रदेश में एक करोड़ 9 लाख 91 हजार श्रमिकों के आधार सीडिंग का काम किया जा चुका है और अभी भी 7.78 लाख श्रमिकों का आधार सीडिंग का काम बाकी है। इसमें से 37.86 लाख श्रमिकों को ही आधार नम्बर फीड किए जाने के बाद सीधे उनके खाते में भुगतान की राशि भेजी जा रही है। मनरेगा परिषद ने इस पेंडिंग काम को पूरा करने के लिए सभी जिलों को दिसम्बर तक का समय तय किया है।

भोपाल
राज्य सरकार के करप्शन मुक्त भुगतान प्रणाली को फील्ड में काम कर रहे अफसरों की लापरवाही से पूरा नहीं होने दिया जा रहा है। यह स्थिति राज्य सरकार की योजनाओं के साथ केंद्र की मनरेगा योजना के मामले में भी है जो कोरोना संक्रमण के बुरे दौर में केंद्र व राज्य सरकार की प्रशंसा पाने वाली स्कीम में गिनी जाती रही है।

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स्थिति यह है कि फील्ड में काम करने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों ने मनरेगा के 72 लाख एक्टिव लेबर का भुगतान सीधे खाते में आने से रोक रखा है जबकि सरकार इसके लिए करीब साढ़े छह साल से निर्देश दे रही है।

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जिलों में पदस्थ अधिकारियों को मनरेगा मजदूरों के खाते आधार से लिंक कराने के लिए कई बार पत्र भी लिखे गए हैं लेकिन 1.09 करोड़ एक्टिव मनरेगा मजदूरों में से सिर्फ 37.86 लाख श्रमिकों के खाते आधार लिंक किए गए हैं और उनके खातों में सीधे मजदूरी का भुगतान हो रहा है।

कई पत्र लिखे

मनरेगा योजना में नरेगा साफ्ट में जॉबकार्ड धारक श्रमिकों के आधार नम्बर दर्ज करने के निर्देश राज्य शासन द्वारा सभी जिलों के कार्यक्रम समन्वयक और अतिरिक्त कार्यक्रम समन्वयकों को एक अगस्त 2016 को दिए गए थे।

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इसके बाद से लगातार पत्र लिखकर यह काम पूरा करने के लिए कहा जाता रहा है लेकिन एक्टिव लेबर के विरुद्ध की गई आधार सीडिंग का प्रतिशत 93.39 और आधार आधारित भुगतान का प्रतिशत 32.18 प्रतिशत तक ही अब तक पहुंच पाया है।

जिलेवार की गई आधार सीडिंग में भी सिंगरौली, दमोह, भिंड, निवाड़ी और सागर जिलों में एक्टिव लेबर की तुलना में आधार सीडिंग का प्रतिशत 90 से कम है। पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग ने इस पर आपत्ति जताते हुए इसमें सुधार के लिए लिखा है।

इसमें कहा गया है कि 3.15 लाख श्रमिकों के परिवार बंटने और 18724 श्रमिकों का पलायन हो जाने के से बनाए गए नवीन जॉबकार्ड में आधार सीडिंग प्रविष्टि नहीं हो पा रही है। इसलिए इसे जल्द दुरुस्त कराने का काम किया जाए।
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