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SIR: आरएसएस की चिंता के बाद एक्शन में यूपी के सीएम से डिप्टी CM तक, बीजेपी ने किया सियासी रण में बड़ा कदम

लखनऊ

उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया चल रही है. एसआईआर का फार्म भरकर जमा करने की अंतिम तारीख 11 दिसंबर है. एसआईआर प्रक्रिया पर बीजेपी के जनप्रतिनिधियों की दिलचस्पी ना दिखने पर आरएसएस ने पिछले दिनों चिंता जाहिर की थी, जिसके बाद अब बीजेपी और योगी सरकार फुल एक्शन में नजर आ रही है.

बीजेपी ने अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को एसआईआर की प्रकिया में लगा दिया है. बीजेपी के नेता एसआईआर प्रक्रिया पर सिर्फ निगरानी ही नहीं रखेंगे, बल्कि मतदाओं के नाम भी जुड़वाने का भी काम करेंगे. इसके साथ योगी सरकार ने भी पूरी तरह से कमर कस लिया है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक भी एसआईआर पर नजर बनाए रखने के लिए एक्टिव हो गए हैं. सरकार के टॉप थ्री नेताओं ने 25-25 जिले की कमान संभाल ली है. इस तह बीजेपी से लेकर योगी सरकार तक फुलफार्म में नजर आ रहे हैं.

संघ की चिंता के बाद जागी बीजेपी

बता दें कि पिछले दिनों लखनऊ में हुई संघ–बीजेपी की विचार प्रवाह बैठक में उत्तर प्रदेश में चल रही एसआईआर प्रक्रिया प्रमुख चर्चा का विषय रहा. बैठक में संघ के नेताओं ने यह मुद्दा उठाया कि बीजेपी सांसद और विधायक एसआईआर प्रक्रिया की गतिविधियों में पर्याप्त भागीदारी नहीं दिखा रहे. उन्होंने स्पष्ट कहा कि जनप्रतिनिधियों को इस पहल में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए. लोगों को जागरूक करना चाहिए और ज़मीन पर उनकी मदद सुनिश्चित करनी चाहिए.

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आरएसएस की चिंता जताने के बाद एसआईआर को लेकर बीजेपी संगठन ने भी कमर कस लिया है. बीजेपी ने एसआईआर के मैदान में अपने नेताओं की पूरी फौज उतार दी है तो योगी सरकार भी पूरी तरह से एक्टिव हो गई है. सीएम से लेकर डिप्टी सीएम तक एक्टिव हैं.

बीजेपी न उतारे डेढ़ लाख कार्यकर्ता

बीजेपी ने एसआईआर प्रक्रिया के मैदान में अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को लगा दिया है. पिछले चार दिनों में बीजेपी संगठन ने अपने डेढ़ लाख कार्यकर्ताओं को बूथों पर लगाया. प्रदेश संगठन के शीर्ष सूत्रों की माने तो सभी डेढ़ लाख भाजपा कार्यकर्ताओं को संदेश भेजे गए, मंडल स्तर से लेकर जिले स्तर तक ताबड़तोड़ मीटिंग हुई. इतना ही नहीं कई जूम मीटिंग की गई और SIR में अपने लोगों के नाम न छूटे इसके लिए कार्यकर्ताओं को अब झोंका है.

एसआईआर प्रक्रिया में बीजेपी का अब एक ही मंत्र है अपने कार्यकर्ताओं के लिए कि अपने वोटरों के नाम हर हाल में वोटर लिस्ट में आने चाहिए. बीजेपी की कोशिश है कि उसका अपना कोई वोटर छूटना नहीं चाहिए. उनके फार्म जमा कराने से लेकर उनकी आपत्तियों को चेक करने और समाधान तलाशने की है.

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योगी-केशव और पाठक भी एक्टिव

बीजेपी संगठन ही नहीं बल्कि योगी सरकार एसआईआर प्रक्रिया के रण में उतर गई है. सीएम योगी आदित्यनाथ और दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक भी जमीन पर उतर गए हैं. सरकार के टॉप थ्री नेताओं को 25-25 जिले की कमान दी है, जिसकी समीक्षा की गई और SIR में इनकी भूमिका को भी रेखांकित किया गया ताकि जमीनी कार्यकर्ताओं से लेकर मुख्यमंत्री तक की संजीदगी दिखाई दे.

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि जब चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची शुद्धिकरण का अभियान चल रहा है तो इससे कोई मतदाता वंचित न रह जाए. इसके लिए अलग-अलग जिलों की बैठकें लेने के लिए कहा गया है. हम उसी के क्रम में प्रयागराज से शुरूआत कर रहे हैं. उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सभी बीएलओ से अपील की कि वें एसआईआर का विरोध करने वालों को चक्कर में न पड़े, सभी बीएलओ अपने कर्तव्य का हिम्मत और जिम्मेदारी के साथ पालन करें.

वहीं, उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि एसआईआर अभियान के तहत लोगों को जो गणना पपत्र मिला है, उसे भरकर निर्वाचन कार्यालय में बीएलओ के माध्यम से जमा करा दें, जिससे उनका नाम वोटर लिस्ट में प्रकाशन आ जाए, जो लोग घुसपैठिए के रूप में अनधिकृत रूप से निवास कर रहे हैं, उन्हें चिह्नित करके उनका नाम कटवाने के लिए अवश्य जमा करें.

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SIR पर बीजेपी क्यों हुई एक्टिव?

दरअसल, एसआईआर प्रक्रिया को लेकर सपा पूरी तरह से एक्टिव है. सपा के नेता और कार्यकर्ता हर एक बूथ पर सक्रिय हैं और वो पार्टी के वोटबैंक पर फोकस कर रहे हैं. यही नहीं मुस्लिम समाज के लोग अपने वोटो को लेकर सजग दिखाई दे रहे हैं. इसीलिए बीजेपी ने अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं फॉर्म भरने से लेकर जमा करने के लिए पूरी तरह से उतार दिया है.

बीजेपी संगठन से जुड़े नेता ने बताया कि समाजवादी पार्टी जिस तरीके से एसआईआर को लेकर एक्टिव है, जिस तरीके से मुस्लिम इलाकों में कैंप लगाकर लोग सिर में अपने फार्म भर रहे हैं, उसने बीजेपी को जगा दिया है. बीजेपी ने अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को कहा गया है कि इस बात पर भी विशेष फोकस करें कि एसआईआर के लिए बूथवार कितने प्रपत्र बंट गए हैं, कितने जमा हुए और कितने अपलोड हो गए. साथ ही समीक्षा के बाद रिपोर्ट पार्टी मुख्यालय को भी उपलब्ध कराए.

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