
2014 में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में चर्चित रहे जबलपुर ज्योति हत्याकांड में आरोपी कानपुर के करोड़पति व्यापारी पीयूष श्यामदासानी एवं उसकी गर्लफ्रेंड मनीषा को 20 अक्टूबर 2022 को कानपुर में अपर जिला जज प्रथम अजय कुमार त्रिपाठी की कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई है। इस मामले में कुल 6 आरोपियों को दंडित किया गया है।
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ज्योति के पिता शंकर नाग्देव बड़े व्यापारी और महाकौशल चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के पदाधिकारी हैं। वर्ष 2012 में कानपुर में पांडुनगर के रहने वाले बिस्किट व्यापारी ओमप्रकाश श्यामदासानी के छोटे बेटे पीयूष से ज्योति की शादी हुई। नाग्देव परिवार और दासानी परिवार का कारोबारी रिश्ता भी था। दुल्हन बनकर ससुराल पहुंची ज्योति को शादी की पहली रात ही पति की असलियत पता चल गई। वह रातभर पति का इंतजार करती रही। पीयूष गर्लफ्रेंड के साथ रहा। ज्योति ने इस दर्द को पर्सनल डायरी में बयां किया था।
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ज्योति ने अपनी डायरी में पति पीयूष के लिए लिखा था- दुनिया की निगाह में मैं पीयूष की पत्नी हूं, किससे कहूं और कैसे कहूं कि मैं पत्नी नहीं, पत्नी जैसी हूं (आईएम हिज सो कॉल्ड वाइफ) उसने मुझे कभी पत्नी का दर्जा नहीं दिया। वह मुझे कुछ समझता ही नहीं है, न जाने क्यों वह मुझसे नफरत करता है, लेकिन परिवार की बदनामी के डर से मैंने यह बात किसी को नहीं बताई। हमेशा पत्नी की भूमिका निभाती रही।
पीयूष मुझे मानसिक रूप से सताने का कोई मौका नहीं छोड़ता। वह अपनी मां बहन सबके लिए जेवर लाता है, लेकिन मेरे लिए कभी एक अंगूठी तक नहीं लाया। सबका जन्मदिन उसे याद रहता है। पार्टी देता है, लेकिन मेरा जन्मदिन भूल जाता है।
उसने मुझसे कभी नहीं पूछा कि मुझे क्या चाहिए, मेरा पारिवारिक जीवन खराब हो गया है। पीयूष बस अपनी महिला दोस्तों में मस्त रहता है। मुझे न जेवर चाहिए, न गिफ्ट या कुछ और, मुझे उसका प्यार और केयर चाहिए, बस उसका प्यार चाहिए।
पीयूष मेरे साथ हनीमून मनाने गया था। वहां वह एयरपोर्ट पर मुझे छोड़कर 2 घंटे के लिए गायब हो गया। लौटने पर मैंने पूछा तो बताया कि वह दोस्तों से बातचीत करने गया था।
हनीमून के दौरान भी हम लोग अजनबी की तरह रहे। वह घंटों तक दोस्तों से बातचीत और मैसेज में ही व्यस्त रहता था। उसके पास मेरे साथ कुछ पल बिताने का समय ही नहीं था। मेरी जिंदगी में पीयूष नहीं बस उसका नाम और उसकी बेवफाई ही रहेगी। ज्योति ने अपनी डायरी में कुछ शायरी भी लिखी है। (ज्योति की डायरी के अंश।)
ज्योति हत्याकांड की कहानी
पीयूष ने अंग्रेजी फिल्म देखकर मर्डर की साजिश रची थी। 27 जुलाई 2014 को ज्योति को सुधरने का वादा करने के बाद वरांडा रेस्त्रां लेकर गया था। यहां रात 11 बजे तक साथ रहे। इसके बाद पीयूष ने कार को घर के बजाए पनकी के सुनसान रास्ते पर मोड़ दिया। ज्योति को अनहोनी की आशंका हुई, तो उसने विरोध किया। इसी दौरान पीयूष ने कार रोक दी, तभी कार ड्राइवर अवधेश और भाड़े के तीनों हत्यारे रेनू, सोनू व आशीष गाड़ी में घुस आए। ज्योति पर मौत होने तक चाकू से वार करते रहे।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में ज्योति के शरीर पर 17 बार चाकू से घाव की पुष्टि हुई थी। 4 पेट में, 4 गर्दन पर, 2 सिर के पिछले हिस्से में, 4 पैर और 2 पीछे हिप में और चेहरे पर एक घाव मिले थे। शव को कार में छोड़कर पीयूष दूसरी गाड़ी से घर गया। वहां टी-शर्ट बदली और फिर थाने पहुंच कर ज्योति के अपहरण का केस दर्ज कराया।
पीयूष के बदलते बयानों से पुलिस को उस पर संदेह हुआ। हाई प्रोफाइल कारोबारी घराने के प्रकरण के चलते तत्कालीन आईजी आशुतोष पांडे ने खुद मोर्चा संभाला। कानपुर की पुलिस उतार दी गई। 28 जुलाई की सुबह पनकी में पीयूष की कार मिली। गाड़ी में खून से लथपथ ज्योति का शव मिला।
पुलिस पीयूष के बयानों के आधार पर आसपास लगे सीसीटीवी खंगाले। इसके बाद पीयूष से सख्ती से पूछताछ की। पीयूष पुलिसिया सख्ती के आगे टूट गया। आखिर में उसने जो खुलासा किया, उसे सुनकर लोग सन्न रह गए। खुद घरवालों को विश्वास नहीं हो पा रहा था। पुलिस ने बाद में एक-एक कर सभी आरोपियों को दबोच लिया। 72 घंटे में पुलिस इस केस का खुलासा कर चुकी थी। पीयूष ने बयान में कहा था कि वह ज्योति से घृणा करता था।





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