
नहीं करता। मैं घर से निकला और गर्वनर को इस्तीफा दिया। बाहर पत्रकारों ने पूछा, तो मैंने कहा- नाउ आई एम फ्री। उसके बाद झोला लेकर निकल पड़ा। मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण में गया, तो वहां भी मामा के नारे लग रहे थे। गड़बड़ी हुई, तो धरने पर बैठ गया। मैंने कहा था- टाइगर अभी जिंदा है। डिप्रेशन में नहीं जाना। एक बात तुम्हें बताता हूं कि मनुष्य चाहे, तो ब्रह्मांड पर कमांड कर सकता है।
युवाओं से किया सीधा संवाद
सवाल- नेशनल यूथ अवार्डी हिमांशु गुप्ता 2017 ने पूछा कि सरकार के साथ सुशासन लाने के लिए प्राइवेट संस्था की निगेटिव छवि बनाई जाती है।
सीएम- अकेली सरकार सब बेहतर नहीं कर सकती। समाज का सहयोग और अच्छा काम करने वाली संस्थाएं सहयोग करें, तो सब संभव है। सरकारी अस्पताल में यदि कोई संस्था आकर मदद करना चाहे, तो मौका देना चाहिए। कुछ लोग हल्ला मचाना शुरू कर देते हैँ। सरकार प्राइवेटाइजेशन कर रही है। मैं इसका पक्षधर हूं कि अच्छा काम करने वाली संस्थाओं की मदद लेनी चाहिए।
रसिंहपुर के नीरज पाटीदार ने पूछा कि सुशासन का बेंचमार्क क्या है?
सीएम – सुशासन का मतलब पात्र भाई-बहनों को बिना परेशानी समय सीमा में योजना का लाभ मिल जाए। ये सुशासन है। कानून व्यवस्था समेत कई पक्ष भी हैं, लेकिन योजनाओं की दृष्टि से ये सुशासन है। पीएम ने डीबीटी शुरू किया। एक जमाने में चेक बंटते थे। प्राकृतिक आपदाओं में पैसे लेकर नकद देने जाते थे। उसमें कुछ राशि रख लेते थे, फिर चेक देने लगे, उसमें भी कई बार पैसे लेने के बाद चेक देते। साइकिल वितरण की व्यवस्था में बच्चों के खातों में पैसे डालने लगे। मैंने देखा- साइकिल कम दिखने लगीं, बच्चों से पूछा तो बताया कि हमारे पापा ने कहीं और खर्च कर लिए। किसानों को सब्सिडी और बच्चों की साइकिल में हम दो जिलों में ई वाउचर शुरू कर रहे हैं।
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दतिया की शायना कुरैशी ने पूछा- जमीनी स्तर पर काम कर रहे युवाओं को लाने का उद्देश्य क्या है?
सीएम: मैं नया मध्यप्रदेश गढ़ना चाहता हूं। आत्मनिर्भर मप्र के लिए कई संगठनों की जरूरत है। आज एक छत के नीचे 10 संगठन एकत्रित हुए हैं। एक-दूसरे से सीखा है। संस्थाओं को साथ मिलकर काम करना पड़ेगा। हमारे मन में ये नहीं है कि ये कार्यक्रम कर्मकांड बनकर रह जाए। नया मप्र बनाने में हमारा क्या उपयोग हो सकता है, इसके लिए सीएम मित्र और दूसरी योजनाएं बनाई हैं।
NSS के स्वयंसेवक देवांशु गौतम ने पूछा- छात्र जीवन में गैर राजनैतिक जीवन में प्रशासन के साथ कैसा अनुभव रहा?
सीएम: छात्र जीवन में हम क्रांतिकारी रहे। उस समय कई आंदोलन करते थे। अक्सर प्रशासन से मुकाबला ज्यादा हो जाता था। मैं एबीवीपी का कार्यकर्ता था। उसमें अभियान चलाया। गांव में कैम्प लगाकर जानकारियां जुटाते थे। उस समय प्रशासन का सहयोग मिलता था। हालांकि कुछ बुरे अनुभव भी रहे।
सीएम ने बताई भविष्य की योजनाएं
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यंग प्रोफेशनल्स जन्मदिन पर पेड़ लगाएंगे।
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स्कूल बस में जिस तरह से बेटी के साथ घटना हुई। समाज में समान आयु के बच्चे एक-दूसरे की इज्जत करें। ऐसा वातावरण बनाएंगे।
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किसान और गरीब को फ्री बिजली के लिए 24 हजार करोड़ की सब्सिडी सरकार देती है, लेकिन कई बार लोग बिजली बर्बाद करते हैं। हम बिजली की बचत करने का संकल्प लें, तो 4 हजार करोड़ रुपए बचा सकते हैं। मैं सीएम हाउस में खुद स्विच ऑफ करता हूं।
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नशा मुक्त समाज बनाने के लिए हुक्का लाउंज बंद करने का प्रस्ताव ला रहे हैं।।





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