MP News: फर्जी आईडी प्रूफ से जीएसटी पंजीयन लेकर कागजों में चल रही थी आठ फर्म, केस दर्ज कर टेरर फंडिंग की जांच
फर्जी पहचान पत्रों के आधार पर जीएसटी पंजीयन करा चुकी आठ कंपनियों का खुलासा हुआ है। इनपुट टैक्स क्रेडिट हासिल करने के लिए कंपनियों का जाल बिछाया गया था, जो आपस में जुड़ी थी।
मध्यप्रदेश की स्टेट जीएसटी एजेंसी ने प्रदेश की आठ फर्म का मामला पुलिस के एंटी-टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) को सौंपा है। यह फर्म फर्जी आईडी प्रूफ से जीएसटी पंजीयन प्राप्त कर कागजों में चल रही थी। यह न तो कोई माल मंगाती है और न ही बेचती है। फिर भी बिल जारी कर रही थी। नगद लेन-देन के चलते टेरर फंडिंग की आशंका के चलते एंटी-टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि जीएसटी के पंजीयन में फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करने के सबूत मिले हैं। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जीएसटी का पंजीयन प्राप्त किया था। प्रथमदृष्टया वह भौतिक रूप से कोई व्यवसाय नहीं कर रहे थे। कागजों पर अपना व्यापार चला रहे थे। यह फेक बिलिंग भी करते थे। ऐसी आठ फर्म पर एफआईआर दर्ज कराई गई है। पांच फर्म इंदौर, दो भोपाल और एक फर्म ग्वालियर की है। फर्जी आईडी प्रूफ कहां और कैसे बना, इसकी जांच पुलिस कर रही है। नाम पते भी गलत होने को जांच के दायरे में लिया है।
गलत तरीके से टैक्स क्रेडिट लेने वाली फर्म पर स्टेट जीएसटी विभाग की लंबे समय से नजर थी। इन फर्मों पर छापामार कार्रवाई की गई। यह कंपनियां न माल मंगा रही थी और न ही भेज रही थी। फर्जी बिलों से इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) जनरेट कर रही थी। फिर आईटीसी को किसी अन्य फर्म को ट्रांसफर कर नगद राशि ले लेते थे। इसे ही सर्कुलर क्रेडिट कहते हैं। इस आधार पर फर्म सरकार को राजस्व का नुकसान पहुंचा रही थी। अब इन फर्मों के लेन-देन में टेरर फंडिंग के पहलू की भी जांच की जा रही है।