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Jabalpur: अंतरिम मुआवजा दिए बिना तोड़ रहे भवन, फ्लाईओवर मामले में पक्ष रखने सरकार को मिली दो दिन की मोहलत

याचिका में कहा गया है कि नगर निगम द्वारा शहर के अंदर फ्लाईओवर का निर्माण किया जा रहा है। पं. लज्जाशंकर मार्ग में फ्लाईओवर जहां उतारा जा रहा है, उक्त मार्ग की चौड़ाई 80 फीट से अधिक निर्धारित की गई है, जो मास्टर प्लान से अधिक है। इसके लिए लोगों की व्यक्तिगत भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है।
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जबलपुर में फ्लाईओवर के लिए नगर निगम द्वारा मनमाने तरीके से भूमि-अधिग्रहण किए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में लगभग आधा सैकड़ा याचिकाएं दायर की गई हैं। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ को याचिका की सुनवाई के दौरान बताया गया कि अंतरिम मुआवजा दिए बिना भवनों को तोड़ा जा रहा है। इस संबंध में जवाब पेश करने के लिए सरकार ने समय प्रदान करने का आग्रह किया। युगलपीठ ने सरकार को दो दिन का समय प्रदान करते हुए अगली सुनवाई 4 जनवरी को निर्धारित की है।
हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एसएस झा उनके अधिवक्ता पुत्र केएस झा तथा सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश पीपी नावलेकर, पूर्व महाधिक्ता ए अग्रवाल सहित अन्य की ओर से दायर आधा दर्जन याचिकाओं में फ्लाईओवर के लिए जबरन भूमि अधिग्रहण किए जाने को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि नगर निगम द्वारा शहर के अंदर फ्लाईओवर का निर्माण किया जा रहा है। पं. लज्जाशंकर मार्ग में फ्लाईओवर जहां उतारा जा रहा है, उक्त मार्ग की चौड़ाई 80 फीट से अधिक निर्धारित की गई है, जो मास्टर प्लान से अधिक है। इसके लिए लोगों की व्यक्तिगत भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है। इसके अलावा दमोह नाका से मदन महल मार्ग में भी लोगों की भूमि का जबरन अधिग्रहण किया जा रहा है।
पूर्व में हाईकोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए आपसी समझौते के लिए आर्बिटेटर नियुक्त करने के आदेश जारी किए थे। आर्बिटेटर की तरफ से पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया था कि भवन के लिए शत-प्रतिशत मुआवजा दिया जाना चाहिए। लीज की जमीन का 80 तथा फ्री होल्ड जमीन का शत-प्रतिशत मुआवजा दिया जाना चाहिए। सरकार ने आर्बिटेटर की रिपोर्ट पर आपत्ति व्यक्त करते तर्क दिए थे कि सड़क का निर्धारण राजस्व अभिलेख के अनुसार किया गया है।
पिछली सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने सरकार को निर्देशित किया कि सीमांकन प्रक्रिया प्रारंभ कर उसकी वीडियोग्राफी करवाएं। इसके साथ ही सरकार सुरक्षा निधि के रूप में दस करोड़ रुपये कोर्ट में जमा करें। युगलपीठ मुआवजे का निर्धारित याचिका के अंतिम आदेश के अधीन रखते हुए सरकार द्वारा निर्धारित अंतरिम मुआवजा प्रदान करने के आदेश भी जारी किए थे। याचिकाकर्ताओं की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी तथा अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने पैरवी की।