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छह-सात साल पुरानी शिकायतों में डॉक्टरों पर बड़ा एक्शन:MPMC ने रजिस्ट्रेशन सस्पेंड किए, सोनोग्राफी पर लगी रोक

छह-सात साल पुरानी शिकायतों में डॉक्टरों पर बड़ा एक्शन:MPMC ने रजिस्ट्रेशन सस्पेंड किए, सोनोग्राफी पर लगी रोक मरीजों के इलाज और जांच में लापरवाही के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं। डॉक्टरों की लापरवाही से कई बार मरीजों की मौत भी हो जाती है। अधिकांश मरीजों के परिजन इसे ईश्वर की मर्जी मानकर चुप रह जाते हैं। जिन मरीजों के परिजन तथ्यों के साथ मेडिकल काउंसिल को शिकायत करते हैं। जांच में डॉक्टरों की चूक साबित होने पर कार्रवाई भी होती है। मप्र मेडिकल काउंसिल ने हाल ही में डॉक्टरों पर बड़ी कार्रवाई की है। जांच और सुनवाई के बाद मप्र मेडिकल काउंसिल ने इन डॉक्टरों के पंजीयन निलंबित करने से लेकर प्रैक्टिस पर रोक लगाने की कार्रवाई की है। डॉक्टरों के खिलाफ करीब छह-सात साल पुराने मामलों में अब एक्शन लिया गया है। सात-आठ साल पुराने मामलों में अब हुई कार्रवाईअरविंदो हॉस्पिटल के तत्कालीन ब्लड बैंक प्रभारी डॉ.प्रसन्न कुमार बण्डी को 2014 के एक मामले में एक साल के लिए ऐलोपैथी प्रेक्टिस पर प्रतिबंध लगाया गया है। निकारागुआ देश से एमडी मेडिसिन की डिग्री हासिल करने वाली डॉ.मोनिका गुप्ता का एडिशनल पंजीयन रद्द किया गया है। 2015 के एक मामले में भोपाल की डॉ. माया डोडानी का रजिस्ट्रेशन सस्पेंड कर एक साल तक सोनाग्राफी करने पर रोक लगाई गई है। ऐलोपैथी प्रैक्टिस पर एक साल की रोक लगी मप्र मेडिकल काउंसिल ने अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस सेम्स हॉस्पिटल, इंदौर के तत्कालीन ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. प्रसन्न कुमार बण्डी को साल 2014 के मामले में जांच के बाद एक साल तक प्रैक्टिस पर रोक लगाई है। मेडिकल काउंसिल के अनुसार प्रकरण क्र. 421 / 2014 ( स्व. कु. उमारानी वर्मा विरूद्ध डॉ. बीबी गुप्ता व अन्य) में दोषी पाए जाने पर डॉ. प्रसन्न कुमार बण्डी के पंजीयन क्र. एमकेएमसी-1979 (19.02.1969) और एमडी पैथोलॉजी के रजिस्ट्रेशन (01.12.2001) को 01 साल तक के लिए तत्काल प्रभाव से स्टेट मेडिकल रजिस्टर से सस्पेंड किया है। अगले साल सितंबर 2023 तक डॉ. प्रसन्न कुमार बण्डी आधुनिक वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति (एलोपाथी) में प्रैक्टिस नहीं कर पाएंगे। निकारागुआ देश से की PG की डिग्री का एडिशनल रजिस्ट्रेशन रद्द डॉ. मोनिका गुप्ता ने निकारागुआ देश से पीजी के बाद मप्र मेडिकल काउंसिल में अक्टूबर 2017 में एडिशनल पंजीयन कराया था। मामले में नेशनल मेडिकल कमिशन (NMC) से मप्र मेडिकल काउंसिल ने मार्गदर्शन मांगा, तो बताया गया कि फॉरेन मेडिकल क्वालिफिकेशन्स के अलावा अन्य मेडिकल क्वालिफिकेशन्स को NMC ने मान्यता नहीं दी है। निकारागुआ देश से की गई एमएस जनरल सर्जरी की डिग्री भी को मान्यता भी नहीं हैं। डॉ. मोनिका गुप्ता का पक्ष सुनने के बाद मप्र मेडिकल काउंसिल ने डॉ.मोनिका गुप्ता की एडिशनल रजिस्ट्रेशन को कैंसिल कर दिया है। गलत रिपोर्ट दी, अब एक साल तक सोनोग्राफी करने पर लगी रोक भोपाल निवासी अंकिता राजपूत ने 03 मार्च 2016 को मप्र मेडिकल काउंसिल को भेजी शिकायत में लेख किया कि गर्भावस्था के दौरान उन्होंने ईशकृपा नर्सिंग होम में इलाज कराया था। डॉ. माया डोडानी ने उन्हें सोनोग्राफी कराने की सलाह दी थी। 17 मई 2015 को ईशकृपा नर्सिंग होम में डाॅ. माया डोडानी से सोनोग्राफी करवाई। सोनोग्राफी रिपोर्ट में बताया कि उनके गर्भ में 26 सप्ताह का एक जीवित बच्चा पल रहा है। इस विश्वास पर अंकिता डाॅ. माया डोडानी से गर्भावस्था के दौरान इलाज कराती रहीं। घर पर अचानक पेट में दर्द बढ़ने पर उसे तत्काल तृप्ति नर्सिंग होम, भोपाल में दिखाया। वहां उन्हें भर्ती कर लिया गया। उपचार के दौरान दिनांक 13 जून 2015 को तृप्ति नर्सिंग होम में सोनोग्राफी की गई। इस सोनोग्राफी रिपोर्ट में गर्भ में 2 संतान पाई गई और, दोनो शिशुओं की दिल की धड़कने बंद थी। इस वजह से अंकिता को तृप्ति नर्सिंग होम के डॉक्टर ने तत्काल ऑपरेशन की सलाह दी 13 जून 2015 को तृप्ति नर्सिंग होम में आपरेशन कर मृत बच्चों को निकाला। ऑपरेशन के बाद उनकी जान मुश्किल से बची। डॉक्टर द्वारा सोनोग्राफी में दी गई गलत जानकारी को लेकर इस मामले की शिकायत मप्र मेडिकल काउंसिल से की गई थी। काउंसिल ने मेडिकल कॉलेज इंदौर की टीम से अभिमत मांगा और जीएमसी भोपाल के रेडियोलॉजी विभाग की एचओडी से जांच कराई। जांच और तर्कों के बाद डॉ. माया डोडानी से भी जवाब मांगे गए। डोडानी ने बताया कि उन्होंने विज्ञान के आधार पर सोनोग्राफी की है कई बार यूटरेस में फिट्स में छोटा शेडो ओवरलेप हो जाता है। अंकिता के इलाज में उन्होंने कोई चूक नहीं की। मप्र मेडिकल कांउसिल ने करीब सात साल पुराने मामले में लंबी बहस के बाद विशेषज्ञों के अभिमतों के आधार पर डॉ माया डोडानी को एक साल तक सोनोग्राफी करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। डायरिया ग्रस्त बच्ची की मां से डॉक्टर ने कहे अपशब्द, 6 साल में पूरी हुई जांच भोपाल निवासी रोजमेरी चेथालन ने राजधानी के ही डॉ.हरिशंकर की मप्र मेडिकल काउंसिल में शिकायत की थी। रोजमेरी के मुताबिक उनकी दो साल 4 महीने की बेटी इसाबेला को डायरिया की शिकायत थी। उसने डॉ.हरिशंकर को दिखाया। डॉक्टर ने मल की जांच कराने के बाद दवाएं दीं, लेकिन बेटी को आराम नहीं हुआ। बल्कि उसके शरीर पर दाने और खुजली होने लगी। रोजमेरी ने डॉक्टर को फोन पर बेटी की तबियत में सुधार न होने की समस्या बताई, तो वे फोन पर झल्लाए और अटेंडर को फोन दे दिया। जुलाई 2016 में रोजमेरी अपनी बेटी को लेकर डॉ.हरिशंकर के क्लीनिक पर दिखाने गईं जहां उनका अटेंडर सामने खडा हो गया और अंदर से डॉ.हरिशंकर चिल्लाते हुए आए। रोजमेरी ने अपनी शिकायत में लिखा कि डॉक्टर ने उन्हें 'Shit', 'Get Out', 'Get Lost'जैसे अपशब्द कहते हुए कर्मचारियों से हमें बाहर निकालने को कहा। इस मामले की शिकायत की जांच के बाद मप्र मेडिकल काउंसिल ने डॉ. हरिशंकर को मरीजों के साथ अच्छा व्यवहार करने की हिदायत दी है। साबित नहीं हुए लापरवाही के आरोप 2016 में विपिन पटेल ने डॉ पंकज दर और डॉ.डीके जैन के खिलाफ इलाज में लापरवाही की शिकायत की थी। शिकायत की जांच और विशेषज्ञ समिति की राय के बाद मप्र मेडिकल काउंसिल ने डॉक्टरों के खिलाफ लापरवाही सिद्ध न होने पर मामले को खत्म कर दिया। बच्चे की मौत पर लगे लापरवाही के आरोप, जांच में सिद्ध नहीं हुए डॉक्टर को दी हिदायत भोपाल के डॉ.अरहंत जैन पर राजेन्द्र अहिरवार नाम के व्यक्ति ने अपने बेटे के इलाज में लापरवाही करने की शिकायत की थी। शिकायतकर्ता राजेन्द्र के मुताबिक डॉ जैन द्वारा लगाए गए इंजेक्शन की वजह से बच्चे की मौत को जिम्मेदार बताया था। इस मामले की जांच में डॉक्टर पर लापरवाही के आरोप साबित नहीं हो सके। मेडिकल कांउसिल ने डॉ.अरहंत को प्रस्क्रिप्शन पर्चे पर पूरी जानकारी लिखने की हिदायत देकर शिकायत को खत्म कर दिया।

छह-सात साल पुरानी शिकायतों में डॉक्टरों पर बड़ा एक्शन:MPMC ने रजिस्ट्रेशन सस्पेंड किए, सोनोग्राफी पर लगी रोक

छह-सात साल पुरानी शिकायतों में डॉक्टरों पर बड़ा एक्शन:मरीजों के इलाज और जांच में लापरवाही के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं। डॉक्टरों की लापरवाही से कई बार मरीजों की मौत भी हो जाती है। अधिकांश मरीजों के परिजन इसे ईश्वर की मर्जी मानकर चुप रह जाते हैं। जिन मरीजों के परिजन तथ्यों के साथ मेडिकल काउंसिल को शिकायत करते हैं। जांच में डॉक्टरों की चूक साबित होने पर कार्रवाई भी होती है। मप्र मेडिकल काउंसिल ने हाल ही में डॉक्टरों पर बड़ी कार्रवाई की है। जांच और सुनवाई के बाद मप्र मेडिकल काउंसिल ने इन डॉक्टरों के पंजीयन निलंबित करने से लेकर प्रैक्टिस पर रोक लगाने की कार्रवाई की है। डॉक्टरों के खिलाफ करीब छह-सात साल पुराने मामलों में अब एक्शन लिया गया है।

सात-आठ साल पुराने मामलों में अब हुई कार्रवाईअरविंदो हॉस्पिटल के तत्कालीन ब्लड बैंक प्रभारी डॉ.प्रसन्न कुमार बण्डी को 2014 के एक मामले में एक साल के लिए ऐलोपैथी प्रेक्टिस पर प्रतिबंध लगाया गया है। निकारागुआ देश से एमडी मेडिसिन की डिग्री हासिल करने वाली डॉ.मोनिका गुप्ता का एडिशनल पंजीयन रद्द किया गया है। 2015 के एक मामले में भोपाल की डॉ. माया डोडानी का रजिस्ट्रेशन सस्पेंड कर एक साल तक सोनाग्राफी करने पर रोक लगाई गई है।

ऐलोपैथी प्रैक्टिस पर एक साल की रोक लगी
मप्र मेडिकल काउंसिल ने अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस सेम्स हॉस्पिटल, इंदौर के तत्कालीन ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. प्रसन्न कुमार बण्डी को साल 2014 के मामले में जांच के बाद एक साल तक प्रैक्टिस पर रोक लगाई है। मेडिकल काउंसिल के अनुसार प्रकरण क्र. 421 / 2014 ( स्व. कु. उमारानी वर्मा विरूद्ध डॉ. बीबी गुप्ता व अन्य) में दोषी पाए जाने पर डॉ. प्रसन्न कुमार बण्डी के पंजीयन क्र. एमकेएमसी-1979 (19.02.1969) और एमडी पैथोलॉजी के रजिस्ट्रेशन (01.12.2001) को 01 साल तक के लिए तत्काल प्रभाव से स्टेट मेडिकल रजिस्टर से सस्पेंड किया है। अगले साल सितंबर 2023 तक डॉ. प्रसन्न कुमार बण्डी आधुनिक वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति (एलोपाथी) में प्रैक्टिस नहीं कर पाएंगे।

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निकारागुआ देश से की PG की डिग्री का एडिशनल रजिस्ट्रेशन रद्द
डॉ. मोनिका गुप्ता ने निकारागुआ देश से पीजी के बाद मप्र मेडिकल काउंसिल में अक्टूबर 2017 में एडिशनल पंजीयन कराया था। मामले में नेशनल मेडिकल कमिशन (NMC) से मप्र मेडिकल काउंसिल ने मार्गदर्शन मांगा, तो बताया गया कि फॉरेन मेडिकल क्वालिफिकेशन्स के अलावा अन्य मेडिकल क्वालिफिकेशन्स को NMC ने मान्यता नहीं दी है। निकारागुआ देश से की गई एमएस जनरल सर्जरी की डिग्री भी को मान्यता भी नहीं हैं। डॉ. मोनिका गुप्ता का पक्ष सुनने के बाद मप्र मेडिकल काउंसिल ने डॉ.मोनिका गुप्ता की एडिशनल रजिस्ट्रेशन को कैंसिल कर दिया है।

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गलत रिपोर्ट दी, अब एक साल तक सोनोग्राफी करने पर लगी रोक
भोपाल निवासी अंकिता राजपूत ने 03 मार्च 2016 को मप्र मेडिकल काउंसिल को भेजी शिकायत में लेख किया कि गर्भावस्था के दौरान उन्होंने ईशकृपा नर्सिंग होम में इलाज कराया था। डॉ. माया डोडानी ने उन्हें सोनोग्राफी कराने की सलाह दी थी। 17 मई 2015 को ईशकृपा नर्सिंग होम में डाॅ. माया डोडानी से सोनोग्राफी करवाई। सोनोग्राफी रिपोर्ट में बताया कि उनके गर्भ में 26 सप्ताह का एक जीवित बच्चा पल रहा है। इस विश्वास पर अंकिता डाॅ. माया डोडानी से गर्भावस्था के दौरान इलाज कराती रहीं। घर पर अचानक पेट में दर्द बढ़ने पर उसे तत्काल तृप्ति नर्सिंग होम, भोपाल में दिखाया। वहां उन्हें भर्ती कर लिया गया। उपचार के दौरान दिनांक 13 जून 2015 को तृप्ति नर्सिंग होम में सोनोग्राफी की गई। इस सोनोग्राफी रिपोर्ट में गर्भ में 2 संतान पाई गई और, दोनो शिशुओं की दिल की धड़कने बंद थी।

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इस वजह से अंकिता को तृप्ति नर्सिंग होम के डॉक्टर ने तत्काल ऑपरेशन की सलाह दी 13 जून 2015 को तृप्ति नर्सिंग होम में आपरेशन कर मृत बच्चों को निकाला। ऑपरेशन के बाद उनकी जान मुश्किल से बची। डॉक्टर द्वारा सोनोग्राफी में दी गई गलत जानकारी को लेकर इस मामले की शिकायत मप्र मेडिकल काउंसिल से की गई थी। काउंसिल ने मेडिकल कॉलेज इंदौर की टीम से अभिमत मांगा और जीएमसी भोपाल के रेडियोलॉजी विभाग की एचओडी से जांच कराई।

जांच और तर्कों के बाद डॉ. माया डोडानी से भी जवाब मांगे गए। डोडानी ने बताया कि उन्होंने विज्ञान के आधार पर सोनोग्राफी की है कई बार यूटरेस में फिट्स में छोटा शेडो ओवरलेप हो जाता है। अंकिता के इलाज में उन्होंने कोई चूक नहीं की। मप्र मेडिकल कांउसिल ने करीब सात साल पुराने मामले में लंबी बहस के बाद विशेषज्ञों के अभिमतों के आधार पर डॉ माया डोडानी को एक साल तक सोनोग्राफी करने पर प्रतिबंध लगा दिया है।

डायरिया ग्रस्त बच्ची की मां से डॉक्टर ने कहे अपशब्द, 6 साल में पूरी हुई जांच
भोपाल निवासी रोजमेरी चेथालन ने राजधानी के ही डॉ.हरिशंकर की मप्र मेडिकल काउंसिल में शिकायत की थी। रोजमेरी के मुताबिक उनकी दो साल 4 महीने की बेटी इसाबेला को डायरिया की शिकायत थी। उसने डॉ.हरिशंकर को दिखाया। डॉक्टर ने मल की जांच कराने के बाद दवाएं दीं, लेकिन बेटी को आराम नहीं हुआ। बल्कि उसके शरीर पर दाने और खुजली होने लगी। रोजमेरी ने डॉक्टर को फोन पर बेटी की तबियत में सुधार न होने की समस्या बताई, तो वे फोन पर झल्लाए और अटेंडर को फोन दे दिया।

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जुलाई 2016 में रोजमेरी अपनी बेटी को लेकर डॉ.हरिशंकर के क्लीनिक पर दिखाने गईं जहां उनका अटेंडर सामने खडा हो गया और अंदर से डॉ.हरिशंकर चिल्लाते हुए आए। रोजमेरी ने अपनी शिकायत में लिखा कि डॉक्टर ने उन्हें ‘Shit’, ‘Get Out’, ‘Get Lost’जैसे अपशब्द कहते हुए कर्मचारियों से हमें बाहर निकालने को कहा। इस मामले की शिकायत की जांच के बाद मप्र मेडिकल काउंसिल ने डॉ. हरिशंकर को मरीजों के साथ अच्छा व्यवहार करने की हिदायत दी है।

साबित नहीं हुए लापरवाही के आरोप

2016 में विपिन पटेल ने डॉ पंकज दर और डॉ.डीके जैन के खिलाफ इलाज में लापरवाही की शिकायत की थी। शिकायत की जांच और विशेषज्ञ समिति की राय के बाद मप्र मेडिकल काउंसिल ने डॉक्टरों के खिलाफ लापरवाही सिद्ध न होने पर मामले को खत्म कर दिया।

बच्चे की मौत पर लगे लापरवाही के आरोप, जांच में सिद्ध नहीं हुए डॉक्टर को दी हिदायत

भोपाल के डॉ.अरहंत जैन पर राजेन्द्र अहिरवार नाम के व्यक्ति ने अपने बेटे के इलाज में लापरवाही करने की शिकायत की थी। शिकायतकर्ता राजेन्द्र के मुताबिक डॉ जैन द्वारा लगाए गए इंजेक्शन की वजह से बच्चे की मौत को जिम्मेदार बताया था। इस मामले की जांच में डॉक्टर पर लापरवाही के आरोप साबित नहीं हो सके। मेडिकल कांउसिल ने डॉ.अरहंत को प्रस्क्रिप्शन पर्चे पर पूरी जानकारी लिखने की हिदायत देकर शिकायत को खत्म कर दिया।

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