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मंडला के इस गांव में हनुमान जी का चमत्कारी मंदिर, साल भर श्रद्धालुओं का लगता है जमावड़ा

तीनों लोको में यदि कोई सबसे शक्तिशाली है तो वो हैं पवनसुत हनुमान. कलयुग में यदि कोई ईश्वर है तो वो हैं रामभक्त हनुमान. हनुमान जी को लेकर बहुत सी पौराणिक कथाएं है. कलयुग में भगवान हनुमान के बहुत से चमत्कार देखने और सुनने को मिलते हैं. इस दुनिया में बजरंगबली के भक्तों की कमी नहीं है. क्योंकि उनकी महिमा अपरंपार है. आज यानी मंगलवार के दिन न्यूज़ 18 लोकल आपको रामभक्त हनुमान के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पवनपुत्र एक अनोखे रूप में विराजमान हैं और उनका चमत्कार लोगों को मंत्रमुग्ध करता है.

मध्य प्रदेश के मंडला जिला मुख्यालय से लगभग 80 किलोमीटर दूर भडगांव के बंदरिया गांव में श्रद्धा और भक्ति को समर्पित हनुमान जी का प्राचीन मंदिर है. कहा जाता है कि यदि कलयुग में भगवान हैं तो यहां आ कर ही यह देखने को मिलता है. मंदिर में विराजे हनुमान जी की दुर्लभ मूर्ति के संबंध में मान्यता है कि यह प्रतिमा अपने आप लगातार बढ़ रही है. यहां के लोगों ने बताया कि यह मूर्ति यहीं पर प्रकट हुई थी, तब यह केवल दो फीट की थी. उस समय एक छोटा सा मंदिर बनवाया गया था, लेकिन वर्तमान में इस मूर्ति का आकार बढ़ते-बढ़ते हुए आठ फीट के आस-पास पहुंच गई है. मूर्ति का आकार लगातार बढ़ने से मंदिर छोटा पड़ने लगा है.

तीनों लोको में यदि कोई सबसे शक्तिशाली है तो वो हैं पवनसुत हनुमान. कलयुग में यदि कोई ईश्वर है तो वो हैं रामभक्त हनुमान. हनुमान जी को लेकर बहुत सी पौराणिक कथाएं है. कलयुग में भगवान हनुमान के बहुत से चमत्कार देखने और सुनने को मिलते हैं. इस दुनिया में बजरंगबली के भक्तों की कमी नहीं है. क्योंकि उनकी महिमा अपरंपार है. आज यानी मंगलवार के दिन न्यूज़ 18 लोकल आपको रामभक्त हनुमान के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पवनपुत्र एक अनोखे रूप में विराजमान हैं और उनका चमत्कार लोगों को मंत्रमुग्ध करता है.

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मध्य प्रदेश के मंडला जिला मुख्यालय से लगभग 80 किलोमीटर दूर भडगांव के बंदरिया गांव में श्रद्धा और भक्ति को समर्पित हनुमान जी का प्राचीन मंदिर है. कहा जाता है कि यदि कलयुग में भगवान हैं तो यहां आ कर ही यह देखने को मिलता है. मंदिर में विराजे हनुमान जी की दुर्लभ मूर्ति के संबंध में मान्यता है कि यह प्रतिमा अपने आप लगातार बढ़ रही है. यहां के लोगों ने बताया कि यह मूर्ति यहीं पर प्रकट हुई थी, तब यह केवल दो फीट की थी. उस समय एक छोटा सा मंदिर बनवाया गया था, लेकिन वर्तमान में इस मूर्ति का आकार बढ़ते-बढ़ते हुए आठ फीट के आस-पास पहुंच गई है. मूर्ति का आकार लगातार बढ़ने से मंदिर छोटा पड़ने लगा है.

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