
नए साल में लोन और महंगे नहीं होंगे। रेपो रेट में ज्यादा से ज्यादा 0.25% बढ़ोतरी हो सकती है। उसके बाद लंबे समय तक रिजर्व बैंक की नीतिगत दरें स्थिर रहेंगी। विश्लेषकों के मुताबिक, ये भी संभव है कि 2023 के आखिर तक ब्याज दरों में गिरावट शुरू हो जाए। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि देश में रेपो रेट महंगाई दर से 0.37% ज्यादा हो गया है। इसे रियल सेंट्रल बैंक रेट कहा जाता है। इसके शून्य से ऊपर होने पर केंद्रीय बैंक अमूमन दरें बढ़ाना बंद कर देते हैं।
बैंक ऑफ बड़ौदा की अर्थशास्त्री अदिति गुप्ता ने बताया कि अभी भारत समेत सिर्फ पांच बड़े देशों में रियल सेंट्रल बैंक रेट शून्य से ऊपर है। चीन, सऊदी अरब, ब्राजील और मेक्सिको इनमें शामिल हैं। रियल सेंट्रल बैंक रेट शून्य से नीचे आने पर करंसी की वास्तविक वैल्यू घटने लगती है। इसीलिए महंगाई बढ़ने पर रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाने लगता है, ताकि रियल सेंट्रल बैंक रेट शून्य से ऊपर रहे। देश ने ये टारगेट हासिल कर लिया है।
रेपो रेट में 0.50% तक बढ़ोतरी की गुंजाइश बाकी
IDBI बैंक के ED और ट्रेजरी हेड अरुण बंसल का मानना है कि रेपो रेट में 0.50% बढ़ोतरी की गुंजाइश बाकी है। उन्होंने कहा, ‘पॉलिसी रेट तय करते समय रिजर्व बैंक को ध्यान रखना होगा कि रुपए में गिरावट आ रही है। इसके अलावा अमेरिका में नीतिगत दरें भारत की दरों में अंतर कम होता जा रहा है। ऐसे में रेपो रेट बढ़ाना पड़ेगा।’
5% से कुछ ही ज्यादा रहेगी रिटेल महंगाई
कोटक इंस्टट्यूशनल इक्विटीज के मुताबिक, रिजर्व बैंक अगले साल दरें बढ़ाने से पहले अब तक रेपो रेट में 2.25% इजाफे का पूरा असर देखेगा। कैपिटल मार्केट कंपनी ने एक नोट में कहा, ‘हमारा अनुमान है कि 2023 में RBI रेपो रेट 6.25-6.5% पर स्थिर रखेगा। वित्त वर्ष 2023-24 में रिटेल महंगाई दर 5% से कुछ ही ऊपर रहने की संभावना है।’
दरों के मामले में चुनौतीपूर्ण स्थिति से उबर रहा भारत
विकसित देशों में ब्याज दरें और बढ़ने की आशंका बनी हुई है। ऐसे ज्यादातर देशों में महंगाई दर 7-10% है। इसके मुकाबले सेंट्रल बैंकों के रेट्स 2.50-4.50% ही हैं। ये अंतर पाटने के लिए उन्हें ब्याज दरों में बढ़ोतरी करनी पड़ेगी, लेकिन भारत ऐसी स्थिति से उबर चुका है।





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