| आखिर क्यों की जाती है महाकाल बाबा की भस्म आरती |
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मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर भगवान का प्रमुख मंदिर है। यह मंदिर भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। ज्योतिर्लिंग मतलब वह स्थान जहां भगवान शिव ने स्वयं लिंगम स्थापित किए थे। पुराणों, महाभारत और कालिदास जैसे महाकवियों की रचनाओं में इस मंदिर का मनोहर वर्णन मिलता है। यह दुनिया का एकमात्र ऐसा दक्षिणमुखी शिवलिंग है, जो तंत्र-मंत्र की दृष्टि से भी खास महत्वपूर्ण माना गया है।
ऐसी मान्यताएं हैं कि शिवजी को अर्पित की गई भस्म का तिलक लगाना चाहिए। जिस प्रकार भस्म से कई प्रकार की वस्तुएं शुद्ध व साफ की जाती हैं, उसी प्रकार भगवान शिव को अर्पित की गई भस्म का तिलक लगाने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होगी। साथ ही, कई जन्मों के पापों से भी मुक्ति मिल जाएगी।महाकाल की पूजा में भस्म का विशेष महत्व है और यही इनका सबसे प्रमुख प्रसाद है। ऐसी धारणा है कि शिव के ऊपर चढ़े हुए भस्म का प्रसाद ग्रहण करने मात्र से रोग दोष से मुक्ति मिलती है। इस आरती का एक नियम यह भी है कि इसे महिलाएं नहीं देख सकती हैं। इसलिए आरती के दौरान कुछ समय के लिए महिलाओं को घूंघट करना पड़ता है। आरती के दौरान पुजारी एक वस्त्र धोती में होते हैं। इस आरती में अन्य वस्त्रों को धारण करने का नियम नहीं है। माना जाता है कि महाकाल के दर्शन मात्र से ही लोगों को मोक्ष प्राप्त हो जाता है। उज्जैन में महाकाल को ही राजा माना जाता है, इसलिए महाकाल की इस नगरी में और कोई भी राजा कभी रात में यहां नहीं ठहरता है। |






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