Breaking News

सात्विक आहार बनता है मनोबल

हम कैसा आहार लेते है वह सबसे अहम होता है क्योंकि उसका हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। मन का अच्छा रहना, मनोबल का अच्छा रहना सारा खानपान पर निर्भर करता है। जो व्यक्ति राजसी भोजन करते हैं, मिर्च-मसाले अधिक खाते हैं उनमें मनोबल की कमी होती है। वहीं सात्विक आहार संतुलित जीवन का आधार है, राजसी आहार आवेश और आवेग पैदा करता है, लेकिन तामसिक आहार तो समस्याओं का उत्पत्ति केंद्र है। यदि हम अनुपात निकालें तो यह समीकरण होगा- सात्विक आहार करने वाले व्यक्ति में साठ प्रतिशत मनोबल होता है, राजसी आहार करने वाले में तीस प्रतिशत और तामसिक आहार करने वाले में दस प्रतिशत मनोबल होगा। आहार एक सशक्त उपाय है मनोबल को बढ़ाने का। इसीलिए जितने भी आध्यात्मिक योगी हुए हैं, उन्होंने सबसे पहले आहार पर ध्यान दिया है। जन्म से ही जिनका मनोबल प्रबल नहीं है, वे आहार के माध्यम से अपने मनोबल को बढ़ा सकते हैं, उसका विकास कर सकते हैं।
संकल्प से मनोबल का विकास किया जा सकता है। मनोबल का एक नियामक तत्व है धैर्य। धैर्य जीवन की सफलता के लिए सबसे जरुरी है। धैर्य का विकास सात्विक आहार के बिना संभव नहीं है। धैर्य की कमी बेचैनी देती है और बेचैनी तनाव। और अगर यह हमेशा होता है तो दिमाग का हर समय तनाव में रहना हमें गुस्सा, क्रोध और अवसाद के मुहाने पर खड़ा कर देता है। धैर्य न होने पर हम बस दौड़ते रह जाते हैं। कहीं संतुष्टि नहीं होती। थोड़ा कुछ होते ही लड़खड़ा जाते हैं। मनोबल ही वह आधार है जो हमें संतुलित जीवन की राह पर अग्रसर करता है।
जिस व्यक्ति में उत्तम मनोबल जाग जाता है, दूसरे शब्दों में कहा जाए तो संकल्प शक्ति का मनोबल जाग जाता है, दुःख-बहुल और समस्याओं से आक्रांत इस जगत में उसका जीवन सचमुच निर्बाध हो जाता है। कोई भी शक्ति उसे झुका नहीं सकती, दुःखी नहीं बना सकती।
सुखी बनने का शास्त्रोक्त मंत्र है मनोबल का विकास। वही व्यक्ति इस दुनिया में सुखी बन सकता है, जिसने मनोबल को विकसित कर लिया है। 
 

Manu Mishra 1 shramveerbharat news
See also  2 वर्ष से 5% ब्याज ले रहा सूदखोर, 1 लाख 50 हजार मूलधन के अलावा 3 लाख रुपए और मांगने वाला गिरफ्तार श्रम वीर भारत न्यूज़ जबलपुर सिटी क्राइम टुडे
Author: Manu Mishra 1 shramveerbharat news

Facebook
Twitter
LinkedIn

Related Posts

Verified by MonsterInsights