सोई जिसे कुछ लोग भोजनालय भी कहते हैं तो अग्रेज़ी भाषा में इसे किचन के नाम से जाना जाता है, जहां घर के सभी सदस्यों के लिए भोजन बनाया जाता है। अब आप सोचेंगे भला ये भी कोई बताने वाली बात है, यो तो सब जानते हैं। तो आपको बता दें शायद उपरोक्त बताई बातें तो शायद आप लोग जानते होंगे मगर आगे जो हम आपको बताने वाले हैं उस बारे में शायद आप अवगत नहीं होंगे। जी हां, रसोई को न केवल खाना बनाने के लिए जाना जाता है बल्कि वास्तु शास्त्र में भी इससे संबंधित कई बातें बताई गई हैं। तो आइए जानते हैं रसोई से जुड़ी खास बातें साथ ही साथ जानेंगे वास्तु से जुड़े खास टिप्स-
इतना तो सब जानते हैं हमारे घर का रसोई घर सबसे अहम होता है। इसका कारण वहां अग्नि का होना, अन्नपूर्णा का वास होना। जीवन निर्वाह के लिए जो चीज़ सबसे ज़रूरी है वो है खाना। जो कहां पकता है घर के किचन में। इसके अलावा वहां हुई पानी की व्यवस्था भी अधुक महत्वपूर्ण मानी जाती है। मगर इसके अलावा आप सब ये जानते हैं कि ये सारी चीज़ें ने केवल जीवन जीने के लिए आवश्यक है। बल्कि इसका हमारे जीवन पर अच्छा बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए हर किसी के लिए ये जानना बहुत आवश्यक है कि किचन की अंदरूनी व्यवस्था कैसी होनी चाहिए।
वास्तु विशेषज्ञों का कहना है कि प्रत्येक व्यक्ति को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनकी किचन में सिंक, पानी का नल पानी रखने का स्थान ये सब उत्तर दिशा से उत्तर-पूर्व दिशा के बीच हो। बता दें ये बात स्वतंत्र मकान में भी लागू होती और बंद मकान यानि कि फ़्लैट में भी।
आपके घर में रसोई घर भले ही किसी भी कोने में हो लेकिन इस दौरान इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि पानी रखने की जगह में कोई बदलाव न हो। यानि से रखने के लिए उपरोक्त दिशा व दशा का इस्तेमाल होना चाहिए। क्योंकि अगर घर में समुचित पानी की व्यवस्था नहीं होगी तो इसके कारण आने वाले समय में परिवार के सदस्यों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
इसके अलावा ये भी जानें-
रसोई में मंदिर बनाने से पारिवारिक सदस्यों के स्वभाव में गुस्सा और असहनशीलता आती है। तो वहीं इसके स्टोर बनाने होने से जॉब अथवा व्यापार में तरक्की नहीं हो पाती।
जिस घर में रसोई और वॉशरूम एक सीध में तो वहां के सदस्यों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं रहती हैं। खासतौर पर घर की बेटियों के जीवन में भी अशांति रहती है।
रसोई में मंदिर बनाने से पारिवारिक सदस्यों के स्वभाव में गुस्सा और असहनशीलता आती है। तो वहीं इसके स्टोर बनाने होने से जॉब अथवा व्यापार में तरक्की नहीं हो पाती।
जिस घर में रसोई और वॉशरूम एक सीध में तो वहां के सदस्यों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं रहती हैं। खासतौर पर घर की बेटियों के जीवन में भी अशांति रहती है।
रसोई का इंटीरियर वास्तु के अनुसार सेट न किया हो तो सेहत और कमाई के साधनों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ध्यान रहे दक्षिण-पूर्व दिशा में बना किचन अन्न-धन के भंडार भरता है।
सिंक को रसोई के उत्तर-पूर्व में बनवाएं। जल और अग्नि में वैर भाव होता है इसलिए सिंक और चूल्हे को एक सीध में नहीं रखना चाहिए।
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