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बीमा कंपनी ने शराब के नशे में मौत पर एक्सीडेंटल इंश्योरेंस क्लेम ठुकराया

राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NDRC) ने हाल ही में एक ऐसे फैसले को उलट दिया, जिसमें एक शिकायतकर्ता को उसके बेटे की मौत के बाद दुर्घटना बीमा कवर से वंचित कर दिया गया था। बीमा कंपनी ने इस आधार पर क्लेम खारिज कर दिया कि मृतक मौत के समय शराब के नशे में था।

क्या है मामला

एनसीडीआरसी ने इस दिलचस्प मामले में 14 सितंबर 2022 के आदेश पारित किया। इस आदेश के अनुसार, शिकायतकर्ता के बेटे ने एलआईसी जीवन आनंद पॉलिसी को प्रॉफिट और दुर्घटना लाभ के साथ खरीदा था। इसके तहत 4,70,000 रुपये (बीमित राशि के लिए 2,35,000 रुपये और दुर्घटना लाभ के लिए 2,35,000 रुपये) कवर किया गया था। बीमित व्यक्ति की 08-06-2014 को एक नदी में दुर्घटनावश डूबने से मृत्यु हो गई।

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उसकी मृत्यु के बाद, बीमा कंपनी ने बीमित राशि के लिए परिजनों को केवल 2,35,000 रुपये का भुगतान किया, लेकिन एक्सीडेंटल कवर से इनकार कर दिया।  एक्सीडेंटल कवर देने से इनकार करने के पीछे कंपनी ने यह तर्क दिया कि बीमाधारक दुर्घटना के समय शराब (नशे में) के प्रभाव में था। कंपनी ने दावा किया कि दुर्घटना के समय नशे में होना शर्तों का उल्लंघन है।

जिला फोरम का खटखटाया दरवाजा

इसके बाद शिकायतकर्ता ने कंपनी के खिलाफ जिला फोरम का दरवाजा खटखटाया। जिला फोरम ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट में देखा कि बीमित व्यक्ति की मृत्यु ‘एस्फिक्सिया’ और  डूबने के कारण हुई थी, न कि ‘नशा’ के कारण, जबकि फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट में मृतक के रक्त में 59.45 मिलीग्राम% एथिल अल्कोहल की उपस्थिति दिखाई गई।  जिला फोरम ने दावा अनिर्णायक पाया क्योंकि, पोस्टमार्टम परीक्षा के दौरान मूत्र का कोई नमूना नहीं लिया गया था। इसलिए फोरम ने कहा, “यह नहीं कहा जा सकता कि मृतक शराब के नशे में था।”

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जिला फोरम ने शिकायतकर्ता के पक्ष में दिया फैसला

जिला फोरम ने शिकायत को स्वीकार करते हुए बीमा कंपनी को शिकायत की डेट से भुगतान तक 9% वार्षिक ब्याज के साथ शिकायतकर्ता को 2.35 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया। इसने कंपनी को शिकायतकर्ता को मानसिक उत्पीड़न आदि के मुआवजे के रूप में 25,000 रुपये और मुकदमेबाजी शुल्क के लिए 5,000 रुपये का भुगतान करने का भी निर्देश दिया।

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