
कुदरत ने एक से बढ़कर एक जीव-जंतु और पेड़-पौधे बनाए हैं. हालांकि हमारे देश का वनस्पति, जंगल और वन्य पशुओं के मामले में कोई तोड़ नहीं है, फिर भी कुछ ऐसे जीव-जंतु हैं, जो भारत में नहीं पाए जाते हैं. ऐसे ही जीवों में से एक नस्ल है उन चींटिंयों की, जो मधुमक्खियों की तरह शहद (World’s Only Honey Producing Ants) बना सकती हैं. आपको सुनकर यकीन नहीं हो रहा होगा लेकिन यही तो कुदरत की खूबसूरती है कि उसने हर जीव को अपनी ज़िंदगी गुजारने का साधन दिया है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया में मधुमक्खियां अकेली जीव नहीं है, जो शहद बना सकती हैं, उनके अलावा चींटियों की भी एक ऐसी प्रजाति है, जिसे शहद बनाने की कला आती है. इन्हें हनीपॉट ऐंट्स (Honeypot Ants) कहा जाता है. मधुमक्खियों के बनाए गए शहद को इंसान भी खूब चाव से खाते हैं क्योंकि इसमें ढेर सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं, लेकिन चींटियों की बनाई शहद का स्वाद हर किसी को नसीब नहीं होता.
नीपॉट नाम की चींटियां बनाती हैं शहद
चींटियों की हनीपॉट नाम की प्रजाति इतनी आसानी से नहीं मिलती. इनका वैज्ञानिक नाम Camponotus inflatus है, जिन्हें शहद बनाने की अपनी क्षमता की वजह से ही हनीपॉट ऐंट्स कहा जाता है. ये मधुमक्खियों की तरह कॉलोनीज़ में रहती हैं. मधुमक्खियों की तरह ही कामगार चींटियों का काम फूलों के पराग को अपने एब्डॉमिन यानि पेट के निचले हिस्से में इकट्टा करना होता है. ये शहद की मात्रा के हिसाब से फूलता चला जाता है, जब तक कि फूट न जाए. जब उनकी कॉलोनी के लोगों को ज़रूरत होती है, तब वे इसका इस्तेमाल करते हैं. कई बार तो इनका पेट इतना फूल जाता है कि ये अपनी जगह से हिल भी नहीं पातीं और छत से लटकी रहती हैं.
ज़रूरत के वक्त काम आता है हनीपॉट
शहद से भरी हुई मधुमक्खियां उस वक्त का इंतज़ार करती हैं, जब उनके साथियों को इसकी ज़रूरत होती है. ऐसी चींटियों की प्रजाति ज्यादातर सूखी जगहों जैसे – ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, मैक्सिको और अफ्रीकन कॉन्टिनेंट में पाई जाती हैं. ये ट्रिक उनकी सर्वाइवल का तरीका होती है. 1990 में डेविड एटेनबॉरो ने इस पर Trials Of Life नाम की डॉक्यूमेंट्री भी बनाई थी. जिन लोगों ने इस शहद को टेस्ट किया है, उनके मुताबिक ये सामान्य शहद से पतली और हल्की सी कसैली होती है. हालांकि ऐसा बिल्कुल नहीं है कि इसमें मिठास नहीं हो.





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