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सीता का रूप धरने पर भगवान शंकर ने कर दिया था सती का त्याग, ये है कथा

भगवान शिव महादेव ही नहीं, महाभक्त भी हैं. रामचरितमानस व कई पौराणिक कथाओं में उन्हें भगवान विष्णु व उनके स्वरूप  श्रीराम का परम भक्त कहा गया है. उनकी भक्ति की महिमा से जुड़ी कई कथाएं भी धर्म ग्रंथों में  हैं. उन्हीं में एक कथा भक्ति के लिए पत्नी सती का त्याग करने की भी है. आज हम आपको वही कथा बताने जा रहे हैं.

भगवान शंकर द्वारा सती त्याग की कथा
 अनुसार त्रेतायुग में रावण ने जब सीता का हरण कर लिया था, तब भगवान राम भाई लक्ष्मण के साथ व्याकुल होकर उन्हें वन में ढूंढ रहे थे. इसी समय भगवान शंकर पत्नी सती के साथ ऋषि अगस्त्य से राम कथा सुनकर दण्डक वन होते हुए कैलाश जा रहे थे. दण्डक वन में भगवान राम को देखकर उनकी लीला में बाधा नहीं डालने की सोचकर उन्होंने दूर से ही उन्हें प्रणाम किया.

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ये देख सती को बहुत शंका हुई कि जिन भगवान शंकर की पूजा सब करते हैं, वे एक तपस्वी को क्यों प्रणाम कर रहे हैं? यदि ये भगवान विष्णु हैं तो स्त्री के लिए इतने व्याकुल क्यों हैं? इन्हीं शंकाओं के साथ जब उन्होंने भगवान शंकर से सवाल किया तो उन्होंने सती को भगवान की लीला बताते हुए खूब समझाया.  फिर भी सती को संतोष नहीं हुआ. इसके बाद वे मना करने पर भी श्रीराम की परीक्षा लेने दण्डक वन चली गईं.

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