
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पर लगे मानहानि के मामले की सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को फटकार लगाते हुए कहा कि अगर सार्वजनिक बहस को इस स्तर तक लाया गया तो इसके परिणाम भी भुगतने होंगे। आपको बिना किसी शर्त के माफी मांगनी चाहिए थी। आपने जो आरोप लगाए थे, अब उन्हें कोर्ट में साबित करिए।
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कोर्ट ने कहा कि अगर आप अपने बयान पर कायम हैं तो आपको बचाव करने का पूरा अधिकार है। देश क्या कर रहा है इसकी परवाह किए बिना आप लोग बस आरोप लगाए जा रहे हैं।
मनु सिंघवी ने कोर्ट में सिसोदिया की पैरवी की
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल इस पूरे मामले की सुनवाई कर रहे थे। मनीष सिसोदिया की पैरवी के लिए मनु सिंघवी पेश हुए। सिंघवी ने कहा कि सिसोदिया ने ऐसा नहीं कहा था कि हिमंत बिस्वा सरमा को पैसा मिला है, यह भी नहीं कहा कि वो भ्रष्ट हैं।
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सिसोदिया ने असम सीएम पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था
दरअसल, सिसोदिया ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर असम के सीएम और उनकी पत्नी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा कि हिमंत बिस्वा सरमा ने कोरोना काल में पीपीई किट का ठेका अपनी पत्नी की कंपनी को दिया था। उस दौरान हिमंत स्वास्थ्य मंत्री थे, उन्होंने नियमों को ताक पर रखकर पत्नी की कंपनी को पीपीई किट का ठेका दिलवाया। यही नहीं पीपीई किट के लिए कंपनी को ज्यादा भुगतान कराया था।
डिप्टी सीएम को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं
इस पर हिमंत की ओर से सिसोदिया पर मानहानि का केस दायर किया गया है। सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट में इसे खारिज करने की याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। इसके बाद सिसोदिया ने अपनी अर्जी वापस ले ली।





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