ब्योहारी में रियाज सिद्दीकी कैसे बन गया राजा ठाकुर लव जिहाद पूजा नामदेव से शादी या साजिश
श्रम वीर भारत न्यूज़/क्राइम टुडे
शहडोल से रिपोर्टर
श्रेयांश जैन “गोलू””कि रिपोर्ट ब्योहारी :- जब पुलिस की प्राथमिकी दर्ज हुई तब कहीं पता चला कि अपने आपको राजा ठाकुर बतलाकर हजारीलाल नामदेव के घर पर बतौर किरायेदार रहनेवाले बहरूपिए की सच्चाई कुछ और ही थी उसका वास्तविक नाम रियाज सिद्दिकी है , जब हजारीलाल नामदेव की संदिग्ध मौत हुई उसके बाद उसके पुत्र व भतीजे राहुल नामदेव और विकास नामदेव पर संकट के बादल मंडराने लगे परिवार की संपत्ति पर एक सोची समझी साज़िश के खतरे ने अपनी दस्तक दी एवं उसके बाद इस षड़यंत्र की सारी परतें एक एक करके खुलनी शुरू हुई ।
बिना जांच पड़ताल कमरा देना बना तबाही का कारण
रियाज सिद्दिकी जिसने राजा ठाकुर बनकर हजारीलाल नामदेव परिवार के साथ धोखाधड़ी और विश्वासघात किया इस घटना से ब्योहारी के एक एक व्यक्ति को सीख लेनी चाहिए कि लापरवाही के कारण हमारा जीवन भी बर्बाद हो सकता है किसी को भी किराये पर रखने से पूर्व उसकी बारीकी जांच बहुत जरूरी है । विकास नामदेव एवं राहुल नामदेव दोनों चचेरे भाई हैं राहुल नामदेव ने अचानक एक दिन विकास नामदेव के पास डरा सहमा हुआ आया और रोते हुए उसने अपनी आप बीती विकास को सुनाई विकास नामदेव को उसने बतलाया कि वह बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाकर रियाज सिद्दिकी के बुने हुए षड्यंत्र से बाहर निकला है ,उसे महीनों तक बंधक बनाकर रखा गया था जिसमें उसकी स्वयं की मां ऊषा नामदेव एवं बहन पूजा नामदेव भी शामिल हैं जिसकी सूचना तात्कालिक रूप से निकटतम थाने में दी गई , परंतु तब तक बहुत देर हो चुकी थी रियाज सिद्दिकी राहुल की बहन पूजा नामदेव से रीवा के मैरिज कोर्ट में शादी कर चुका था एवं अब षड्यंत्र चल रहा था कि नामदेव परिवार की महिलाओं को बहला-फुसलाकर इनकी प्रापर्टी पर कब्जा जमाने का ।
राहुल नामदेव ने बतलाया कि रियाज सिद्दिकी ने
राहुल नामदेव जिसके घर पर रियाज सिद्धिकी वर्ष 2017 माह जनवरी ,फरवरी के आसपास में राजा ठाकुर बनकर कमरा किराए पर लिया था एवं राहुल के पिता इस बात को समझ नहीं सके एवं बातों में आकर किरायेनामे की वैधानिकता को दरकिनार करते हुए उन्होंने रियाज सिद्दिकी को किराए पर कमरा दे दिया एवं यही से शुरू हो गया एक विश्वासघाती प्रपंच ।
हजारीलाल नामदेव की मौत या साजिश?
जब रियाज सिद्दिकी की हकीकत हजारीलाल नामदेव को पता चली तब उन्होंने जुलाई ,अगस्त 2017 में इस बात का विरोध किया और रियाज सिद्दिकी से कमरा छोड़ने को कहा इस बात पर रियाज सिद्दिकी बौखलाया और उसने हजारीलाल नामदेव से ऊंचे स्वर में कहा दिया कि पहले अपनी पत्नी और बेटियों से तो पूछ लो कि वो लोग मुझे इस परिवार से निकालना चाहती भी हैं या नहीं इस पर पत्नी ऊषा नामदेव एवं बेटियों पूजा नामदेव एवं प्रिया नामदेव ने रियाज सिद्दिकी का पक्ष ले लिया एवं उसका समर्थन किया इससे पता चलता है कि कितनी गहरी साज़िश हजारीलाल नामदेव के परिवार के साथ रची जा चुकी थी ।
हजारीलाल नामदेव की मौत दिनांक 2 सितंबर 2017 को संदेहास्पद एवं रहस्यमयी ढंग से कैसे हो जाती है इस बात का पता यही से लगाया जा सकता है कि जुलाई 2017 में हजारीलाल नामदेव ने विरोध किया और सितंबर में उनकी मृत्यु संयोग तो हो नहीं सकती है ।
राहुल कैसे फंसा और छूटा रियाज सिद्दिकी की गिरफ्त से ?
राहुल अपने पिता हजारीलाल नामदेव की मौत के बाद से ही रियाज सिद्दिकी की गिरफ्त में फंसा हुआ था जिसमें उसकी स्वयं की मां ऊषा नामदेव एवं रियाज सिद्दिकी की पत्नी पूजा नामदेव भी शामिल रही हैं राहुल नामदेव ने बतलाया कि उसे सितंबर 2017 से 17/03/2018 तक इन लोगों की कठिन यातनाओं का सामना करना पड़ा ये तीनों उसे लक्ष्मीनारायण मंदिर के पीछे स्थित उसी के पिता की संपत्ति में बंद करके रखते थे रियाज सिद्दिकी ने राहुल नामदेव की पासबुक और ए.टी.एम.कार्ड तक को पूजा नामदेव और ऊषा नामदेव की मदद से जब्त कर लिया था वह उसका दुरुपयोग करता था परंतु मृत्यु के भय से आतंकित राहुल नामदेव कुछ भी नहीं कर सका ।
17/03/2018 को जब राहुल नामदेव किसी प्रकार से वहां से भाग निकलने में कामयाब हुआ तो उसका पीछा राजा ठाकुर नामक रियाज सिद्दिकी द्वारा किया गया उसी दिन करीब 12 बजे टंकी तिराहा ब्योहारी के पास रियाज राहुल को पा जाता है और उसे वहां से बलपूर्वक घसीटते हुए पुनः उसके कैदखाने की ओर बढ़ता ही है कि कुछ लोग राजमणि द्विवेदी पिता राजमणि द्विवेदी साखी एवं सत्यनारायण गौतम पिता रामटहल गौतम साखी आकर बीच बचाव करते हैं एवं यह मामला यहीं से ब्योहारी थाने की ओर चला जाता है राहुल नामदेव घटना स्थल टंकी तिराहे से ब्योहारी थाने को सूचित कर देता है एवं पुलिस घटना स्थल पर पहुंच कर रियाज सिद्दिकी को पकड़कर थाने लाती है, पुलिस उप निरीक्षक विपिन पाल द्वारा काफी गहन पूछताछ इस राजा ठाकुर के साथ की गई परंतु उसने अपना सही नाम पता नहीं बतलाया शंका होने पर उसके कपड़ों की तलाशी ली गई जिसमें रियाज सिद्दिकी का आधार कार्ड,उसका वोटर आईडी प्राप्त हुआ एवं अपराध की सत्यता हेतु एक अहम सुराग भी पुलिस को प्राप्त हुआ था और वह था राहुल नामदेव का स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का एटीएम कार्ड भी बरामद किया गया था ,जिसे पुलिस द्वारा थाने में ही जमा करा लिया गया था और रियाज सिद्दिकी पर प्राथमिकी दर्ज कर राहुल नामदेव को उसके चंगुल से मुक्त कराया गया।
गवाह बने अपराधी
मोहम्मद अनवर,सलीम खान ,प्रिया नामदेव,तारावती , रूपनारायण राव फर्जी दानपत्र और फर्जी वसीयत के गवाह
प्रमुख बातों पर यदि गौर किया जाए तो प्रथम रामकृपाल नामदेव जो कि हजारीलाल नामदेव के पिता थे एक पढे लिखे सामाजिक व्यक्ति थे उनके तीन पुत्र रमाकांत नामदेव, हजारीलाल नामदेव और गुलज़ारीलाल नामदेव हैं उनकी मौत 22/08/2020 में ही होती है अर्थात् पुत्र की मृत्यु के 2 वर्ष बाद काबिले गौर बात यह है कि रामकृपाल नामदेव ने आजीवन प्रत्येक दस्तावेज में हस्ताक्षर ही किए परंतु उनकी मौत के 12 घण्टे पूर्व एक फर्जी वसीयत बनाई जाती है जिसमें मनगढ़ंत बातें लिखी जाती हैं तथा उसमें से राहुल नामदेव और विकास नामदेव को उनकी संपत्ति से वंचित करवाने संबंधी लेख किए जाते हैं सबसे बड़ी भूल यह भी कर दी जाती है कि रामकृपाल नामदेव को वसीयत में अनपढ़ बतलाया जाता है एवं उसमें अंगूठे के निशान लगाते जाते हैं एवं आश्चर्य तो तब हो जाता है कि तहसील से भी ऐसे फर्जी दस्तावेजों को पास करवा लिया जाता है, भला एक पढ़ा लिखा व्यक्ति जिसने जीवनभर हस्ताक्षर किए हों वो अंगूठा क्यों लगाएगा और वो भी मौत के 12 घण्टे पहले ऐसा षड्यंत्र रचना करने वाले इतने अनपढ़ और बेवकूफ थे कि उन्हें झूठ बोलना भी नहीं आया और खुद के बनाए हुए इस गैर कानूनी खेल में फंसकर रह गए।
फर्जी हुए दानपत्र और वसीयत को लेकर अब विकास नामदेव ने जिला कलेक्टर एवं संभागायुक्त से भी फरियाद की है , फैसला चाहे जब भी हो पर जब भी होगा इन अपराधियों को जेल की सलाखों के पीछे जाने से कोई नहीं रोक सकेगा ।
प्रश्न यहां पर इस बात का उठता है कि आखिर राहुल नामदेव की गैरहाजिरी ,बिना सहमति के तहसील न्यायालय ने इतनी भारी गलती कैसे कर डाली , यदि इस फर्जी बंटवारे की शिकायत न्यायालय अपर कलेक्टर से ना की जाती तो शायद सत्यता एवं इतने बड़े अपराध का पता भी नहीं चल पाता ,न्यायालय ने यह स्वीकार किया है कि राहुल नामदेव के नैसर्गिक हक और हित को समाप्त किया गया है ।
फर्जी बंटवारा करने करवाने की खुली पोल-
न्यायालय अपर कलेक्टर ने इस प्रकरण पर काफी बारीकी से विचार करते हुए राहुल नामदेव की संपत्ति के छलपूर्वक किए गए बंटवारे पर जांच के निर्देश दिए हैं ,इस पत्र में कहा गया है कि ऊषा बेवा हजारीलाल नामदेव ने न्यायालय तहसीलदार ब्योहारी के समक्ष एक टाइपशुदा फार्मेट आवेदन दिनांक 1/02/2018 प्रस्तुत किया था जिसमें 16/02/2018 को प्रकरण नियत किया गया जो पहले से ही टाइपशुदा आदेश पत्रिका की और बिना सक्षम सुनवाई किए बगैर एक पक्षीय आबादी भूमि का बंटवारा जरिए प्रकरण क्रमांक 0026/अ/27(2) 2017-18 दिनांक 16/02/2018 को ही आदेश पारित कर दिया गया जबकि बंटवारा प्रकरण में इश्तहार प्रकाशन अवधि 30 दिवस निर्धारित है जिसका पालन अधीनस्थ न्यायालय के द्वारा नहीं किया गया अर्थात् एक प्रकार से अपराध किया गया है ।
ब्योहारी न्यायालय का आदेश निष्प्रभावी और अवैध:-
और इसी कारण से अधीनस्थ न्यायालय के आदेश को अपर कलेक्टर न्यायालय ने अवैध एवं निष्प्रभावी कर दिया है , परंतु यदि अवैध किया गया है तो ऐसी कूटरचना करने और करवाने वालों को जेल की सलाखों के पीछे डालना ही एकमात्र दण्ड है।
इतना बड़ा अपराध घटित होने के उपरांत जब पीड़ित राहुल नामदेव ने तहसील में अपील प्रस्तुत की तो उसे भी बिना सोचे समझे खारिज कर दिया गया ताकि इस फर्जीवाड़े को दबाया जा सके परंतु उन्हें क्या पता था कि सच कहीं ना कहीं से सामने आ ही जायेगा और इस षड्यंत्र और अपराध का पर्दाफाश हो ही जायेगा ।
बंटवारे के पत्रक में प्रियंका नामदेव ,प्रिया नामदेव एवं राहुल नामदेव के शपथपत्र संलग्न किए गए थे परंतु अपर कलेक्टर न्यायालय ने पाया कि ये शपथपत्र किसी भी नोटरी से निष्पादित नहीं कराये गए थे और ना ही अधीनस्थ न्यायालय में निष्पादन और सत्यापन की जांच ही की गई इससे साफ साफ स्पष्ट होता है कि इस फर्जीवाड़े में कर्मचारी और अधिकारी भी शामिल थे अन्यथा इतने बड़े अपराध को अंजाम देना बहुत ही मुश्किल था ,जबकि साक्ष्य प्रक्रिया के तहत दस्तावेजों को प्रदर्शित।करवाया जाता है परंतु वह भी नहीं किया गया एवं इस भारी अपराध को आड़े हाथ लेते हुए न्यायालय अपर कलेक्टर ने लिखा है कि बंटवारे की यह प्रक्रिया पूर्णतः संदेहास्पद है एवं संदिग्ध है जिसकी बारीकी से जांच की जाय ब्योहारी के तहसील न्यायालय के लिए यह बड़े शर्म की बात है ऐसे में वह दिन दूर नहीं जब लोगों का भरोसा तहसील न्यायालय से ही उठ जायेगा ।
अधीनस्थ न्यायालय ब्योहारी की बंटवारे की प्रक्रिया को त्रुटिपूर्ण पाया गया है एवं अब अधीनस्थ न्यायालय को चाहिए कि अपर कलेक्टर के आदेश का पालन करते हुए मामले का परीक्षण करे एवं अपराधियों पर पुलिस प्राथमिकी दर्ज करवाये ताकि लोगो का विश्वास न्यायालय तहसील पर बना रहे ।
राहुल नामदेव के आवेदन को अधिनस्थ न्यायालय द्वारा खारिज किए जाने को न्यायालय अपर कलेक्टर ने कानून त्रुटि का दर्जा दिया है जिसके बाद राहुल नामदेव को इस त्रुटि के कारण जितनी भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है उसके लिए तहसील ब्योहारी ही जिम्मेदार है एवं जिसकी क्षतिपूर्ति भारतीय न्याय व्यवस्था के अनुसार तहसील को करनी ही चाहिए ।
इस फर्जीवाड़े की जांच और निराकरण हेतु अधीनस्थ न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी ब्योहारी को निर्देशित किया गया है अब अधीनस्थ न्यायालय उन अपराधियों पर दण्डात्मक कार्यवाही करे जिन्होंने ऐसा फर्जीवाड़ा कर न्यायालय की आंखों में धूल झोकी एवं न्यायालय के साथ धोखाधड़ी की ।
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