कोरोना की दूसरी लहर से बढ़ी महंगाई! सरसों तेल ₹200 के पास, दाल से लेकर दूध….
News shramveerbharat

नई दिल्ली. कोरोनावायरस की दूसरी लहर (Covid-19 second Wave) ने आम जनजीवन को एक बार फिर प्रभावित कर रहा है. जहां एक तरह देशभर में कोरोना के मरीज लगातार (corona cases surge in India) बढ़ते जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ इसका असर अब जरूरत के सामानों पर दिखने लगा है. तेल, दाल, दूध से लेकर अन्य सामानों की कीमतों में इजाफा देखा गया है. महंगाई बढ़ रही है, लोगों के किचन का बजट बिगड़ रहा है. सप्ताह भर पहले 140 रुपये प्रति लीटर मिलने वाला सरसों तेल (Mustard Oil) अब 200 रुपये के पास पहुंच गया है. मंगलवार को नोएडा-गाजियाबाद में खुदरा भाव में 190-200 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से सरसों तेल बेचा गया है.
रिफाइंड के दाम भी बढ़ें
मंगलवार को वायदा कारोबार में रिफाइंड सोया तेल (Refined Oil) की कीमत 5 रुपये बढ़कर 1,340 रुपये प्रति 10 किलोग्राम हो गई. नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज में अप्रैल डिलीवरी के लिए रिफाइंड सोया तेल 5 रुपये या 0.37 प्रतिशत बढ़कर 21370 लॉट में 1,340 रुपये प्रति 10 किलोग्राम हो गया. विश्लेषकों ने कहा कि आने वाले दिनों में खाने के तेलों के दाम बढ़ सकते हैं.
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सालभर में 25% बढ़े कुकिंग ऑयल के दाम
पिछले साल से लेकर अब तक कुकिंग ऑयल (Cooking Oil) की कीमतें करीबन 25% महंगी हुई है. 12 अप्रैल तक की सरकारी रिकार्ड के मुताबिक, पाॅल्म ऑयल (palm oil) को छोड़कर सभी खाद्य तेल की कीमतों में वृद्धि देखी गई है. यहां तक कि मूंगफली का तेल जो पहले तीन महीनों तक स्थिर था अप्रैल में दाम बढ़ गए.
तीन माह में बढ़ें खाने के तेलों के दाम
खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्रालय पर दी गई जानकारी के मुताबिक, सरसों तेल के दामों में पिछले तीन माह में बढ़ोतरी हुई है. 31 जनवरी को सरसों तेल का दाम रिटेल में 186 रुपये, 28 फरवरी को 188 रुपये और 31 मार्च को 200 रुपये प्रति लीटर पर रहा है. वही, सोया जनवरी में 142 रुपये, फरवरी में 177 और मार्च में 160 रुपये के भाव से बिका है. मुंगफली के दाम में ज्यादा कुछ बढ़तोरी नहीं हुई है.
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जानें क्या कहते हैं किराना स्टोर वाले?
नोएडा सेक्टर 71 के एक किराना स्टोर की मालकिन साधना चौधरी बताती हैं, कि सरसों तेल के डिमांड में काफी इजाफा हुआ है. तेल का दाम कम होने का नाम नहीं ले रहा है. पिछले दो दिनों से सरसों तेल 180-190 रुपये के भाव से बेचा है. इतना ही नहीं कुछ ग्राहक ऐसे भी आ रहे हैं जो अगले दो से तीन माह के लिए राशन ले रहे हैं. लाॅकडाउन और नाइट कर्फ्यू के कारण लोगों में दाम बढ़ने का भी भय है. वहीं, एक अन्य किराना स्टोर के मालिक राधेश्याम ने बताया कि भारी मांग के चलते सरसों तेल अभी 200 रुपये/लीटर भी मिल रहा है. हालांकि, राधेश्याम बताते हैं, अप्पू कुकिंग मस्टर्ड ऑयल 140 रुपये/लीटर मिल रहा है. तेज कच्ची धानी मस्टर्ड ऑयल 130 रुपये/लीटर मिल रहा है.
दाल की कीमतें 13.25% बढ़ी
दाल की कीमतें साल-दर-साल 13.25% बढ़ी है. पिछले महीनों की तुलना में मार्च में मूंग और मसूर की कीमतें बढ़ गईं. उरद दाल के भाव कंट्रोल में किया गया था, लेकिन तुअर के भाव ऊपर थे. सरकार ने पिछले महीने लोकसभा को बताया था कि चालू फसल वर्ष के दौरान जून से जून तक दाल की पैदावार का अनुमान 116.20 था, जो पिछले वर्ष के 118 प्रतिशत था.
डिब्बाबंद दूध की कीमत 340 रुपये
इतना ही नहीं दाल की कीमत में औसतन दस रुपये प्रति किलो के हिसाब से भाव बढ़ा है. बच्चों के डिब्बाबंद दूध की कीमत में बीस रुपये की बढ़ोतरी हो गई है. 320 रुपये का डिब्बा अब 340 रुपये में मिल रहा है. इस बीच देश के विभिन्न हिस्सों में रात्रि कर्फ्यू और आंशिक बंदी लागू होने की वजह से अब तक लगभग 46 हजार करोड़ रुपये के व्यापार का नुकसान हुआ है. यह दावा कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने किया है.
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मई के बाद कीमतों में आएगी गिरावट
भारत में खाने के तेलों के लिए लगभग 230 लाख टन (लेफ्टिनेंट) की वार्षिक मांग है. इसमें से स्थानीय उत्पादन लगभग 70-80 लाख टन है, जबकि आयात बाकी आवश्यकता को पूरा करता है. सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक, बी.वी. मेहता का कहना है कि इस साल सरसों, मूंगफली और सोयाबीन की फसलें उम्मीद से बेहतर है ऐसे में मई से कीमतों में गिरावट की संभावना है. साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में भी गिरावट देखने को मिल रही है, जिसका असर यहां की घरेलू कीमतों पर पड़ेगा

मंगलवार को वायदा कारोबार में रिफाइंड सोया तेल (Refined Oil) की कीमत 5 रुपये बढ़कर 1,340 रुपये प्रति 10 किलोग्राम हो गई. नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज में अप्रैल डिलीवरी के लिए रिफाइंड सोया तेल 5 रुपये या 0.37 प्रतिशत बढ़कर 21370 लॉट में 1,340 रुपये प्रति 10 किलोग्राम हो गया. विश्लेषकों ने कहा कि आने वाले दिनों में खाने के तेलों के दाम बढ़ सकते हैं.
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सालभर में 25% बढ़े कुकिंग ऑयल के दाम
पिछले साल से लेकर अब तक कुकिंग ऑयल (Cooking Oil) की कीमतें करीबन 25% महंगी हुई है. 12 अप्रैल तक की सरकारी रिकार्ड के मुताबिक, पाॅल्म ऑयल (palm oil) को छोड़कर सभी खाद्य तेल की कीमतों में वृद्धि देखी गई है. यहां तक कि मूंगफली का तेल जो पहले तीन महीनों तक स्थिर था अप्रैल में दाम बढ़ गए.
तीन माह में बढ़ें खाने के तेलों के दाम
खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्रालय पर दी गई जानकारी के मुताबिक, सरसों तेल के दामों में पिछले तीन माह में बढ़ोतरी हुई है. 31 जनवरी को सरसों तेल का दाम रिटेल में 186 रुपये, 28 फरवरी को 188 रुपये और 31 मार्च को 200 रुपये प्रति लीटर पर रहा है. वही, सोया जनवरी में 142 रुपये, फरवरी में 177 और मार्च में 160 रुपये के भाव से बिका है. मुंगफली के दाम में ज्यादा कुछ बढ़तोरी नहीं हुई है.
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नोएडा सेक्टर 71 के एक किराना स्टोर की मालकिन साधना चौधरी बताती हैं, कि सरसों तेल के डिमांड में काफी इजाफा हुआ है. तेल का दाम कम होने का नाम नहीं ले रहा है. पिछले दो दिनों से सरसों तेल 180-190 रुपये के भाव से बेचा है. इतना ही नहीं कुछ ग्राहक ऐसे भी आ रहे हैं जो अगले दो से तीन माह के लिए राशन ले रहे हैं. लाॅकडाउन और नाइट कर्फ्यू के कारण लोगों में दाम बढ़ने का भी भय है. वहीं, एक अन्य किराना स्टोर के मालिक राधेश्याम ने बताया कि भारी मांग के चलते सरसों तेल अभी 200 रुपये/लीटर भी मिल रहा है. हालांकि, राधेश्याम बताते हैं, अप्पू कुकिंग मस्टर्ड ऑयल 140 रुपये/लीटर मिल रहा है. तेज कच्ची धानी मस्टर्ड ऑयल 130 रुपये/लीटर मिल रहा है.
दाल की कीमतें 13.25% बढ़ी
दाल की कीमतें साल-दर-साल 13.25% बढ़ी है. पिछले महीनों की तुलना में मार्च में मूंग और मसूर की कीमतें बढ़ गईं. उरद दाल के भाव कंट्रोल में किया गया था, लेकिन तुअर के भाव ऊपर थे. सरकार ने पिछले महीने लोकसभा को बताया था कि चालू फसल वर्ष के दौरान जून से जून तक दाल की पैदावार का अनुमान 116.20 था, जो पिछले वर्ष के 118 प्रतिशत था.
डिब्बाबंद दूध की कीमत 340 रुपये
इतना ही नहीं दाल की कीमत में औसतन दस रुपये प्रति किलो के हिसाब से भाव बढ़ा है. बच्चों के डिब्बाबंद दूध की कीमत में बीस रुपये की बढ़ोतरी हो गई है. 320 रुपये का डिब्बा अब 340 रुपये में मिल रहा है. इस बीच देश के विभिन्न हिस्सों में रात्रि कर्फ्यू और आंशिक बंदी लागू होने की वजह से अब तक लगभग 46 हजार करोड़ रुपये के व्यापार का नुकसान हुआ है. यह दावा कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने किया है.
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मई के बाद कीमतों में आएगी गिरावट
भारत में खाने के तेलों के लिए लगभग 230 लाख टन (लेफ्टिनेंट) की वार्षिक मांग है. इसमें से स्थानीय उत्पादन लगभग 70-80 लाख टन है, जबकि आयात बाकी आवश्यकता को पूरा करता है. सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक, बी.वी. मेहता का कहना है कि इस साल सरसों, मूंगफली और सोयाबीन की फसलें उम्मीद से बेहतर है ऐसे में मई से कीमतों में गिरावट की संभावना है. साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में भी गिरावट देखने को मिल रही है, जिसका असर यहां की घरेलू कीमतों पर पड़ेगा