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रेड जोन में नहीं खुलेगी शराब दुकानें… शराब सिंडिकेट नें लिया फैसला

भोपाल।
कोरोना महामारी के इस दौर में सरकार नें भले ही शराब ठेकेदारों को रेड जोन एरिया में भी शराब दुकानें खोलकर बिक्री करनें के आदेश दे दिये हैं लेकिन शराब ठेकेदार स्थिति सामान्य होनें तक शराब बिक्री ना करनें की बात कहते हुये स्पष्ट कहा है कि वह दुकानें नहीं खोलेंगे।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के 15 जिलों में रिनुवल हुई शराब दुकानें 25 प्रतिशत ईजाफे के साथ ठेकेदाराें द्वारा ली गई हैं,जबकि भोपाल, इन्दौर, उज्जैन, जबलपुर, सतना, रीवा, ग्वालियर सहित कई अन्य जिलों में शराब दुकानों की नीलामी नये ठेकेदारों द्वारा प्राप्त की गई है। समूचे मध्यप्रदेश में सरकार नें रेड़ जोन की दुकानों को भी खोलनें का दबाव बनाया लेकिन सरकार को इस पर कामयाबी नहीं मिल पाई । जिस पर सरकार नें ठेकेदारों पर धारा – 8 के तहत कार्यवाही भी की। ग्रीन जोन , ओरेंज जोन एवं ग्रामीण क्षेत्रों की दुकानें तो खुल गई लेकिन वहां भी शराब मनमानें रेट पर बेची जा रही है।
अब यदि माननीय उच्च न्यायालय के मामले में देखा जाये तो 30 ठेकेदारों नें लामबंद होकर पिटीशन दायर किया। संगम ट्रेडर्स लिकर एसोसिएशन के जीएम हामिद खान के साथ एक प्रतिनिधि मण्डल नें गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से मुलाकात की। और यह स्पष्ट कर दिया कि जब तक स्थिति सामान्य नहीं होती तब तक शराब दुकानें नहीं खोली जायेगी। एसोसिएशन नें यह निर्णय कोरोना कॉल में आम जनता और अपनें कर्मचारियों की सुरक्षा को देखते हुये लिया है।
वहीं ठेकेदारों के इस फैसले पर प्रदेश भर के शराब प्रेमियों को झटका लगा है। वहीं आर्थिक संकट से जूझ रही प्रदेश सरकार को भी भारी नुकसान हो रहा है। बड़ा सवाल यह भी है कि लगातार लॉकडाउन के दौरान भी शराब की बिक्री पर रोक नहीं लग सकी है। शराब शौकीन मोटे दामों पर इस दौरान भी अपना शौख पूरा कर रहे हैं।

बीते दिनों से अब तक चल रहे लॉकडाउन में शराब की कालाबाजारी जोरों पर चल रही है। दुकानों में मेंटेंन स्टॉक रजिस्टर से लेकर ठेकेदारों और बिचौलियों को सीधे होनें वाले मुनाफे पर सरकार के इस फैसले से चोट लगी। वहीं ठेकेदारों पर सरकार को दिये जानें वाले राजस्व का बोझ भी पडा जिससे वह कोरोना को जोड़कर अपनी बचत करना चाहते नजर आ रहे हैं।
एकतरफ सरकार विभिन्न आपूर्तियों को उपलब्ध करानें में लगी है वहीं शराब ठेकेदारों के लिये इन दुकानों के संचालन की कोई स्पष्ट नीति अब तक सामनें नहीं आई है। यदि सरकार छत्तीसगढ़ के तर्ज पर शराब की होम डिलेवरी शुरु करनें के निर्देश देती तो रेड़ जोन में भी शराब प्रेमियों तक शराब पहुंचनें के साथ ही फिजिकल डिस्टेंशिंग जैसे पहलुओ बचा सकता था , और सरकार को भी राजस्व मिल पाता, बहरहाल शराब सिंडिकेट नें मामले को माननीय न्यायालय की शरण में ले जाकर पेंच जरुर फंसा दिया है । वहीं 27 मई को इस पर फैसला होना है, लेकिन वक्त रहते सरकार चाहे तो शराब के इस मामले में ठोस निर्णय लेकर कोई उपयुक्त रास्ता निकाल सकती है। वहीं सरकार नें नये आबकारी आयुक्त की पदस्थापना के बाद प्रदेश में शराब को लेकर चल रहे घमाशान को खत्म करनें की कोशिश की लेकिन इसमें असफल ही रही।
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