Breaking News

जरूर जाने क्यों काटा था श्री काल भैरव ने_ब्रह्मा जी का पांचवा शीश By manu Mishra 27July 2022

जरूर जाने क्यों काटा था श्री काल भैरव ने_ब्रह्मा जी का पांचवा शीश

By manu Mishra 27July 2022

जरूर जाने क्यों काटा था श्री काल भैरव ने_ब्रह्मा जी का पांचवा शीश By manu Mishra 27July 2022


शिव की क्रोधाग्नि का विग्रह रूप कहे जाने वाले कालभैरव का अवतरण मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष की अष्टमी को हुआ। इनकी पूजा से घर में नकारत्मक ऊर्जा, जादू-टोने, भूत-प्रेत आदि का भय नहीं रहता। काल भैरव के प्राकट्य की निम्न कथा स्कंदपुराण के काशी- खंड के 31वें अध्याय में है।


कथा के अनुसार एक बार देवताओं ने ब्रह्मा और विष्णु जी से बारी-बारी से पूछा कि जगत में सबसे श्रेष्ठ कौन है तो स्वाभाविक ही उन्होंने अपने को श्रेष्ठ बताया। देवताओं ने वेदशास्त्रों से पूछा तो उत्तर आया कि जिनके भीतर चराचर जगत, भूत, भविष्य और वर्तमान समाया हुआ है, अनादि अंनत और अविनाशी तो भगवान रूद्र ही हैं।

See also  जिला जबलपुर स्थित बरगी डेैम के 3 गेट आधा-आधा मीटर खोले गये है , जिससे 231 घन मीटर पानी प्रति सैकेण्ड छोड़ा जा रहा है सावधानी की अलर्ट  पुलिस अधीक्षक जबलपुर महेादय द्वारा आदेशित

(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); ॐ 

वेद शास्त्रों से शिव के बारे में यह सब सुनकर ब्रह्मा ने अपने पांचवें मुख से शिव के बारे में भला-बुरा कहा। इससे वेद दुखी हुए। इसी समय एक दिव्यज्योति के रूप में भगवान रूद्र प्रकट हुए। ब्रह्मा ने कहा कि हे रूद्र, तुम मेरे ही सिर से पैदा हुए हो।

अधिक रुदन करने के कारण मैंने ही तुम्हारा नाम ‘रूद्र’ रखा है अतः तुम मेरी सेवा में आ जाओ, ब्रह्मा के इस आचरण पर शिव को भयानक क्रोध आया और उन्होंने भैरव को उत्पन्न करके कहा कि तुम ब्रह्मा पर शासन करो।

उन दिव्य शक्ति संपन्न भैरव ने अपने बाएं हाथ की सबसे छोटी अंगुली के नाख़ून से शिव के प्रति अपमान जनक शब्द कहने वाले ब्रह्मा के पांचवे सर को ही काट दिया। शिव के कहने पर भैरव काशी प्रस्थान किये जहां ब्रह्म हत्या से मुक्ति मिली। रूद्र ने इन्हें काशी का कोतवाल नियुक्त किया।

See also  बेवफा पत्नी ने 3: 5 करोड़ रुपए के लिए पति को जलाया जिंदा

आज भी ये काशी के कोतवाल के रूप में पूजे जाते हैं। इनका दर्शन किये वगैर विश्वनाथ का दर्शन अधूरा रहता है।

भगवान काल भैरव से जुड़े कुछ तथ्य –

काल भैरव भगवान शिव का अत्यन्त ही उग्र तथा तेजस्वी स्वरूप है।

सभी प्रकार के पूजन , हवन , प्रयोग में रक्षार्थ इनका पुजन होता है।

ब्रह्मा का पांचवां शीश खंडन भैरव ने ही किया था।

इन्हे काशी का कोतवाल माना जाता है।

काल भैरव मंत्र और साधना –

मन्त्र – ॥ ऊं भ्रं कालभैरवाय फ़ट ॥

साधना विधि –

काले रंग का वस्त्र पहनकर तथा काले रंग का ही आसन बिछाकर, दक्षिण दिशा की और मुंह करके बैठे तथा उपरोक्त मन्त्र की 108 माला रात्रि को करें।

See also  आखिर क्यों की जाती है महाकाल बाबा की भस्म आरती

लाभ –

इस साधना से भय का विनाश होता है।

Facebook
Twitter
LinkedIn

Related Posts

Verified by MonsterInsights