
प्रदेश में 6 साल बाद प्रमोशन पर लगी रोक हटाए जाने के मामले में शुक्रवार को विधि विभाग ने पदोन्नति नियम 2022 का संशोधित ड्राफ्ट सामान्य प्रशासन विभाग को लौटा दिया है। विधि विभाग के अभिमत के अनुसार हर साल 1 जनवरी को पदों की गणना की जाएगी, जिसकी निगरानी शासन स्तर पर गठित उच्च स्तरीय समिति करेगी।
इसमें खास यह होगा कि विभाग में संवर्ग बार पदों में से रिक्त पदों को देखा जाएगा, जिन पर तय रिजर्वेशन के हिसाब से (एसटी 20 प्रतिशत, एससी 16 प्रतिशत) भरने के बाद वरिष्ठता के अनुसार पदोन्नति दी जाएगी। पदोन्नति के इस ड्राफ्ट को अब कैबिनेट में ले जाया जाएगा, जहां से मंजूरी के बाद पदोन्नित शुरू हो सकेंगी।
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प्रदेश में पिछले छह सालों में पदोन्नति पर रोक लगी होने से 70 हजार से ज्यादा अफसर और कर्मचारी बगैर प्रमोशन के रिटायर हो गए हैं। 3.50 लाख कर्मचारियों को पदोन्नति का इंतजार है। पदोन्नति नियम 2022 के अनुसार हर साल विभाग में खाली पदों की गणना होगी उसमें यह देखा जाएगा कि 20 प्रतिशत एसटी और 16 प्रतिशत एससी के पद भरे हैं या नहीं।
यदि ये पद भरे हैं तो अनारक्षित वर्ग से वरिष्ठता के आधार पर इन पदों को भर दिया जाएगा। पदोन्नति के नए प्रस्तावित नियमों में यह भी खास होगा कि पहले आरक्षित संवर्ग से उस संवर्ग के पदों से भरा जाएगा। इसके बाद अगर आरक्षित वर्ग का कर्मचारी अनारक्षित वर्ग में प्रमोशन पाता है तो उसकी आगे की पदोन्नति अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों में ही होगी।
आगे वह आरक्षित वर्ग में पदोन्नति नहीं पा पाएगा।
मध्यप्रदेश में हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 को राज्य सरकार के 2002 के भर्ती नियमों से आरक्षण रोस्टर को रद्द कर दिया था। साथ ही इन नियमों के हिसाब से जो पदोन्नतियां दी गई थी उन्हें निरस्त करने को कहा था। राज्य सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती है तब से यह मामला लंबित है, कोर्ट ने उस दौरान यह राहत दे दी थी कि जो निरस्त किए गए रोस्टर के हिसाब से पदोन्नत हो गए हैं, उन्हें यथावत रखा जाए रिवर्ट न किया जाए। इस मामले में अभी अंतिम सुनवाई होना बाकी है।
सुप्रीम कोर्ट में यह है मामला…
सीधी भर्ती में रिजर्वेशन हो, पदोन्नति में नहीं। पदोन्नति मेरिट कम सीनियरिटी के हिसाब से हो। सारी पदोन्नतियां एम नागराज के 2006 के फैसले अनुसार हो। ओबीसी का 8 से 12 लाख रुपए की आय क्रीमीलेयर में तय है। इसी तरह आरक्षित वर्ग की भी क्रीमीलेयर की परिभाषा तय की जाए। रिजर्वेशन भर्ती हो या पदोन्नति 50 प्रतिशत से ज्यादा न हो।
यह है नए पदोन्नति नियमों में
- पदोन्नति में पहले आरक्षित वर्ग के पद भरे जाएंगे, उसके बाद अनारक्षित वर्ग के। ऐसे समझें यदि कुल पदों की संख्या 50 है और पदोन्नति पाने वालों की संख्या 150 तो पहले 20 पद आरक्षित वर्ग से भर लिए जाएंगे, इसमें चाहे कर्मचारी अनारक्षित वर्ग के कर्मचारी से भी जूनियर हो। बचे 30 अनारक्षित पद में से भी आरक्षित वर्ग का कोई कर्मचारी सीनियर रहता है तो उससे पद भरा जाएगा। इसके बाद बचे पद अनारक्षित वर्ग से भरे जाएंगे।
- क्लास 3 से क्लास-3 (ग्रेड-1, ग्रेड-2 और ग्रेड-3) के लिए 5 साल की ग्रेडिंग के 12 अंक होना जरूरी है। क्लास-2 के लिए 14 और क्लॉस-1 के लिए 15 अंक होना जरूरी होगा।
- मेरिट कम सीनियरिटी के अनुसार पदोन्नति में मेरिट गोपनीय चरित्रावली (सीआर) के अंकों को आधार माना जाएगा। मेरिट की पांच श्रेणियां रहेंगी। पहली क+ के 4 अंक यानी 5 साल के 20 अंक हुए। क के 3 यानी पांच साल के 15 अंक। ख के 2 अंक यानी पांच साल के 10 अंक और ग का 1 अंक यानी 5 साल के 5 अंक। घ के 0 अंक यानी फिसड्डी। इसमें पहले प्रमोशन पदों के मुताबिक मेरिट के अनुसार होंगे। पहले 20 अंक, 15 अंक, 10 अंक और 0 अंक होंगे।
- मेरिट तय करने के लिए क्लास-3 के पदों की मेरिट में पहले चरण में सेक्शन ऑफिसर कर्मचारी की सीआर लिखेगा, उसका परीक्षण अंडर सेक्रेटरी करेगा और स्वीकृति डिप्टी सेक्रेटरी देगा। इसी तरह क्लास-2 के मामलों में सीआर का मामला अपर मुख्य सचिव तक जाएगा। क्लास-1 के पदों पर सीआर की स्वीकृति मुख्य सचिव स्तर पर होगी।
- क्लास-1 और क्लास-2 के पदों पर पदोन्नति के मामले में यदि दो अफसरों के मेरिट में अंक समान है तो उसमें वरिष्ठता देखी जाएगी। पहले वरिष्ठ कर्मचारी को प्रमोशन दिया जाएगा।
