पाथरचट्टा पौधा के असीमित औषधि गुण
श्रम वीर भारत न्यूज़/ हैल्थ/टुडे 23जुलाई/2021
पाथरचट्टा एक प्रकार का पौधा है और आयुर्वेद के अनुसार इसमें कई औषधि गुण
पेट में दर्द हो या शरीर में कोई चोट, योनि में संक्रमण हो या खूनी दस्त, हर बीमारी की एक ही दवा है और वह है पथरी। आइए जानते हैं क्या है
पाथरचट्टा एक प्रकार का पौधा है और आयुर्वेद के अनुसार इसमें कई औषधि गुण पाथरचट्टा मैहोते हैं। इसके गुणों के कारण इसे कई नामों से जाना जाता है जैसे वायु पौधे, गिरजाघर की घंटियाँ, जीवित पौधे और जादुई पत्ती। इसका उपयोग सदियों से किडनी और मूत्र संबंधी विकारों से संबंधित समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता रहा है, लेकिन इसके और भी कई फायदे हैं।
आयुर्वेद में इसे भस्मपथरी, पाशनभेद और पनफुटी के नाम से भी जाना जाता है। पथरी के अलावा, यह पेट को स्वस्थ रखते हुए, पेट को साफ करने और जमा हुए विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है। रोचक गुणों से भरपूर होने के कारण यह बवासीर में भी लाभकारी होता है। जानिए इसके अन्य फायदों के बारे में।
किडनी संबंधित समस्या के लिए
लोग इसे गुर्दे की पथरी के लिए रामबाण औषधि मानते हैं। गुर्दे के रोगी को इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर ठंडा करके उसमें शहद मिलाकर दिन में दो बार देना चाहिए। पेशाब में जलन, रुक-रुक कर पेशाब आना, दर्द या पेशाब की अन्य समस्याओं में इसके पत्तों का रस शहद में मिलाकर पीने से लाभ होता है।
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घाव भरने के लिए
यह शरीर के घावों को भरने में भी सहायक है। इसके साथ ही पथरी खून को साफ करती है और चर्म रोगों से बचाती है। इसकी विशेषता यह है कि यह तीनों दोषों (वात, पित्त और कफ) को बुझाती है। आप इसकी 4-5 पत्तियों को पीसकर लेप बना सकते हैं और घाव, चोट या निशान वाली जगह पर लगाने से आपको तुरंत आराम मिलेगा। शरीर पर रैशेज या खुजली की समस्या से भी आपको राहत मिलेगी।
योनि संक्रमण के लिए
महिलाओं को अक्सर योनि में संक्रमण की शिकायत होती है, जिसके कारण निजी क्षेत्र में खुजली, जलन के साथ-साथ योनि स्राव भी होता है। ऐसे में पथरी महिलाओं के लिए रामबाण औषधि है। योनि में सूजन, जलन, खुजली आदि से छुटकारा पाने के लिए इसके पत्तों को उबालकर काढ़ा बना लें और फिर इसमें शहद मिलाकर ठंडा करके दिन में दो बार पीएं।
फोड़े, गांठ या सूजन का इलाज करने के लिए
अगर आपके शरीर पर किसी भी तरह का फोड़ा, गांठ या लाली है तो पथरी भी इसके इलाज में काफी काम आ सकती है। केवल प्रभावित क्षेत्र पर स्टोन का लेप लगाने से इस समस्या को दूर किया जा सकता है। इसके लिए 3-4 पाथरचट्टा के पत्तों को पीसकर इसका लेप फोड़े, गांठ और सूजन वाली जगह पर लगाएं। आप इसके पत्तों को गर्म करके दर्द वाली जगह पर भी बांध सकते हैं। इससे आपको भी राहत मिलेगी। यह जलन और सूजन को कम करने में फायदेमंद होता है।
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पित्ताशय की पथरी के उपचार के लिए
ज्यादातर में पित्त पथरी होती है। इसका दर्द भी असहनीय होता है। कई डॉक्टर आपको गॉल ब्लैडर के ऑपरेशन की सलाह देते हैं, लेकिन आपको बता दें कि पथरी के सेवन से भी आप इससे छुटकारा पा सकते हैं। 8-10 पत्तों को पीसकर चटनी जैसा बना लें. इसमें दो चुटकी अजवायन का चूर्ण, एक चम्मच कुट्टू का चूर्ण मिलाएं; इसे चार से पांच दिनों तक खाली पेट लेने से लाभ होता है। ध्यान रहे कि इसके बाद एक घंटे तक कुछ भी खाने-पीने को नहीं है।
खूनी दस्त के इलाज के लिए
खूनी दस्त को रोकने के लिए आप स्टोनक्रॉप का भी उपयोग कर सकते हैं। इसके पत्तों का रस निकालने के बाद इसमें एक चुटकी पिसा हुआ जीरा और आधा चम्मच देशी घी डालकर अच्छी तरह मिला लें। इस मिश्रण का दिन में दो बार सेवन करें, इसे खाने से आपको आराम मिलेगा। अगर इस दौरान पेट में दर्द हो तो इसके पत्तों के रस में थोड़ा सा सोंठ का चूर्ण मिलाकर सेवन करना चाहिए।
उच्च रक्तचाप का इलाज करने के लिए
अगर आप ऊपर बताए गए ब्लड प्रेशर से पीड़ित हैं तो उसके लिए आप पथरी ले सकते हैं। इसे खाने से आपका हाई ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहेगा। आप इसकी पत्तियों का रस निकालकर पानी में पांच-पांच बूंद मिलाकर पी सकते हैं। आप चाहें तो इसके 2-3 पत्ते रोज सुबह खाली पेट खा सकते हैं। इससे आपकी हाई ब्लड प्रेशर की समस्या दूर हो जाएगी।
क्या आपने देखा है कि पत्थर का पौधा आपके लिए कितना उपयोगी हो सकता है? वैद्यराज श्याम सुंदर जी मिश्र द्वारा बताया गया हैकि तुलसी, गिलोय, नीम आदि को एक ही श्रेणी का मानकर स्वास्थ्य रक्षक माना जाता है और घर के बगीचे या गमले में इसका डंठल या पत्ता लगाएं। कुछ ही दिनों में इसका पौधा लगेगा और जरूरत पड़ने पर आपके लिए मददगार साबित होगा।
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