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जरूर जाने गुर्दे की पथरी के सटीकआयुर्वेदिक घरेलु उपचार By manu Mishra 14July 2022

 जरूर जाने गुर्दे की पथरी के सटीकआयुर्वेदिक  घरेलु उपचार

By manu Mishra 14July 2022

पेशाब के साथ निकलने वाले भिन्न-भिन्न प्रकार के क्षारीय तत्त्व जब किन्हीं कारणवश नहीं निकल पाते और मूत्राशय, गुर्दे अथवा मूत्र नलिका में एकत्र होकर कंकड़ का रूप ले लेते हैं, तो इसे पथरी कहा जाता है|    1. गाय का मट्ठा  250 ग्राम गाय के मट्ठे में 6 ग्राम जवाखार डालकर रोगी को सुबह शाम पिलाएं| यह दर्द रोकने का अच्छा नुस्खा है|  2. अजमोद और मूली



पेशाब के साथ निकलने वाले भिन्न-भिन्न प्रकार के क्षारीय तत्त्व जब किन्हीं कारणवश नहीं निकल पाते और मूत्राशय, गुर्दे अथवा मूत्र नलिका में एकत्र होकर कंकड़ का रूप ले लेते हैं, तो इसे पथरी कहा जाता है|


1. गाय का मट्ठा

250 ग्राम गाय के मट्ठे में 6 ग्राम जवाखार डालकर रोगी को सुबह शाम पिलाएं| यह दर्द रोकने का अच्छा नुस्खा है|

2. अजमोद और मूली

3 ग्राम अजमोद को चार चम्मच मूली के रस में मिलाकर पिलाएं|

3. चन्दन और चीनी

चन्दन के तेल की 10-12 बूंदें चीनी में मिलाकर रोगी को सुबह, दोपहर और शाम को दें|

4. कलमी शोरा, फिटकिरी, शक्कर और पानी

कलमी शोरा 2 ग्राम, फिटकिरी का फूला 2 ग्राम तथा शक्कर 30 ग्राम – तीनों चीजों को पानी में घोलकर रोगी को पिलाएं|

5. इलायची, शिलाजीत, पीपल, मिश्री और पानी

10 ग्राम इलायची के दाने, 10 ग्राम शिलाजीत तथा 6 ग्राम पीपल – सबको पीसकर चूर्ण बना लें| फिर इसमें 25 ग्राम मिश्री पीसकर मिलाएं| अब एक-एक चम्मच की मात्रा में यह चूर्ण सुबह-शाम पानी से सेवन करें|

6. पानी और मूली

दो गिलास पानी में 25-30 ग्राम मूली के बीज उबाल लें| जब पानी आधा रह जाए तो बीजों को छानकर दिन में दो बार पिएं|

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7. काला लोहा

काले लोहे की अंगूठी सीधे हाथ की मध्यमा उंगली में पहनें| इससे पथरी का दर्द कम होता है क्योंकि मध्यमा उंगली का दबाव बिन्दु गुर्दे से सम्बंधित है|

8. पालक और नारियल

पालक का रस एक कप तथा नारियल का पानी एक कप – दोनों को मिलाकर 15 दिनों तक नियमित रूप से पिएं|

9. गाजर, शलजम, मूली और छाछ

गाजर के बीज तथा शलजम के बीज – दोनों 3-3 ग्राम लेकर एक मूली को खोखला करके उसके भीतर भर दें| अब मूली का मुंह गाजर की छीलन से भरके उपले की आग में दबा दें| जब गाजर भुन जाए तो बीज निकाल कर सुबह शाम 2-2 ग्राम की मात्रा में छाछ के साथ लें| इससे मूत्र खुलकर आने लगेगा तथा पथरी भी गल जाएगी|

10. खरबूजा और मूली

पथरी के रोगी को एक कप खरबूजे के रस में 5 ग्राम मूली के बीज पीसकर सेवन करना चाहिए|

11. मौलसिरी

मौलसिरी के 10 ग्राम फूलों का शरबत प्रतिदिन सुबह के समय पिएं|

12. गोखरू, शहद और गाय का दूध

गोखरू का चूर्ण 10 ग्राम तथा शहद 25 ग्राम – दोनों को मिलाकर गाय के दूध के साथ सेवन करें|

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13. प्याज

प्याज का रस चार चम्मच सुबह और चार चम्मच शाम को कुछ दिनों तक पीना चाहिए|

14. मेहंदी और शक्कर

मेहंदी की जड़ को सुखाकर पीस लें| फिर 3 ग्राम चूर्ण को शक्कर में मिलाकर प्रतिदिन सुबह के समय सेवन करें|

15. कुलथी और चौलाई

कुलथी के आटे की रोटियां चौलाई की सब्जी के साथ खानी चाहिए|

16. जामुन और दही

4 ग्राम जामुन की गुठली का चूर्ण दही के साथ सुबह-शाम सेवन करें|

गुर्दे की पथरी में क्या खाएं क्या नहीं

जिस व्यक्ति के गुर्दे में पथरी हो, उसे गेहूं और जौ की रोटी, हरी सब्जियां, मूंग की धुली दाल, मौसमी फल तथा जौ व नारियल का पानी देना चाहिए| वैसे शीघ्र पचने वाले सभी पदार्थ खाने में कोई हर्ज नहीं है| पुराने चावल, मूली, गाजर, अदरक, दूध, मट्ठा, दही एवं नीबू का रस पथरी के रोगी के लिए बहुत लाभदायक है| भोजन के साथ इन पदार्थों को अनिवार्य रूप से लेना चाहिए|

मीठा, मक्खन, घी, तेल, चीनी, शराब, मांस, चाय, कॉफी तथा उत्तेजक पदार्थों से बचना चाहिए| ऋतु के अनुसार गन्ने का रस तथा कुलथी का पानी अवश्य सेवन करें| इससे गुर्दे की सफाई होती रहती है|

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गुर्दे की पथरी का कारण

पथरी का रोग मूत्र संस्थान से सम्बंधित है| पत्थर के चूरे को मूत्र रेणु कहा जाता है| ये चूरे या रेणु सफेद और लाल रंग के होते हैं| ये जब आपस में मिल जाते हैं तो छोटी पथरी का रूप धारण कर लेते हैं| पथरी गोल, अण्डाकार चपटी, चिकनी, कठोर, मुलायम तथा आलू की तरह होती है| यह उन लोगों को होती है जिनके मूत्र में चूने का अंश अधिक होता है| पथरी धीरे-धीरे बढ़ती है|

गुर्दे की पथरी की पहचान

पथरी बन जाने के बाद रोगी को मूत्र त्याग करते समय काफी दर्द होता है| मूत्र रुक-रुककर आता है| मूत्र के साथ पीव या कभी-कभी खून भी आ जाता है| शिश्न के अगले भाग में असहनीय दर्द होता है| जब पथरी गुर्दे से चलकर मूत्राशय में आ जाती है तो रोगी की बेचैनी, दर्द और तड़पन बढ़ जाती है| उसे किसी करवट चैन नहीं मिलता| दर्द के कारण वह इधर-उधर घूमता है और चाहता है कि किसी प्रकार दर्द ठीक हो जाए| कई बार रोगी को उल्टी भी हो जाती है| मूत्र त्याग करते समय शिश्नमुण्ड में दर्द, जलन तथा कसकन पड़ती है| पेशाब भी बूंद-बूंद करके आता है|

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