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पत्थर पट्टक कर हत्या, मारपीट करने वाले तीनों आरोपियों को चंद घंटों में पकड़ा गया, पूछताछ जारी By manu Mishra 26July 2022

पत्थर  पट्टक कर   हत्या, मारपीट करने वाले  तीनों आरोपियों को चंद घंटों में पकड़ा गया, पूछताछ जारी

 By manu Mishra 26July 2022

     


      

 थाना रांझी अंतर्गत आज दिनॉक 25-7-2022 को शाम 5-15 बजे सूचना मिली कि अन्ना बाबा मोहल्ला रोड के किनारे पहाड़ी की ढलान में एक व्यक्ति के मृत अवस्था में पडे होने की सूचना पर  थाना प्रभारी रांझी श्री सहदेव राम साहू हमराह स्टाफ को लेकर पहुंचे। लोगों की भीड लगी हुई थी, एक अज्ञात व्यक्ति जिसकी उम्र लगभग 30 वर्ष थी के गले, सिर एवं चेहरे में धारदार हथियार एवं  पत्थर से मारने के चोट के निशान थे मृत अवस्था में पड़ा था।  

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  भीड़ में मौजूद धर्मेन्द्र वंशकार उम्र 32 वर्ष निवासी पुरानी झण्डा चौक ने मृतक की शिनाख्त अपने छोटे भाई सतोष वंशकार उम्र 30 वर्ष के रूप में करते हुये बताया कि भाई संतोष के पडे होने की सूचना पर पहुंचा तो लोगों ने बताया कि उसके भाई के साथ अमरदीप चौधरी, वैभव उर्फ बाबू मराठी  एवं अर्जुन चौधरी जो कि उसके भाई के परिचित है ने चाकू, पत्थर एवं हाथ घूसों से उसके भाई के साथ मारपीट करते हुये भाग गये है

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 घटित हुई घटना से वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया गया, सूचना पर पुलिस अधीक्षक जबलपुर श्री सिद्धार्थ बहुगुणा (भा.पु.से.) के निर्देश पर नगर पुलिस अधीक्षक रांझी श्री एम.पी. प्रजापति एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहर उत्तर/यातायात श्री प्रदीप कुमार शेण्डे एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहर दक्षिण श्री संजय कुमार अग्रवाल मौके पर पहुंचे।

              

  वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थति में पंचनामा कार्यवाही कर शव को पीएम हेतु भिजवाते हुये अज्ञात आरोपी के विरूद्ध धारा 302 भादवि का अपराध पंजीबद्ध किया जा रहा है।

              *पुलिस अधीक्षक जबलपुर श्री सिद्धार्थ बहुगुणा (भा.पु.से.)* द्वारा आरोपियों की  शीघ्र  गिरफ्तारी हेतु आदेशित किये जाने पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहर उत्तर/यातायात श्री प्रदीप कुमार शेण्डे , नगर पुलिस अधीक्षक रांझी श्री एम.पी. प्रजापति के  मार्गदर्शन में थाना प्रभारी रांझी श्री सहदेवराम साहू  के नेतृत्व में टीम गठित कर लगायी गयी। गठित टीम के द्वारा  संदेही अमरदीप चौधरी उम्र 23 वर्ष एवं वैभव उर्फ बाबू मराठी उम्र 19 वर्ष तथा अर्जुन चौधरी उम्र 42 वर्ष जोकि अमरदीप का चाचा है तीनों निवासी रवि दास नगर रांझी को सरगर्मी से तलाश कर अभिरक्षा मे लेते हुए सघन पूछताछ की जा रही है।

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                  प्रारम्भिक पूछताछ पर प्रथम दृष्टया पाया गया कि मृतक संतोष वंशकार,  अमरदीप चौधरी एवं वैभव उर्फ बाबू मराठी तथा अर्जुन चौधरी ने एक साथ बैठकर मरघटाई रांझी में शराब पी थी, शाम लगभग 4:30 बजे शराब पीते समय संतोष वंशकार एवं अमरदीप चौधरी का तात्कालिक विवाद हो गया जिस पर तीनों ने संतोष वंशकार के साथ हाथ घूसों से मारपीट की,  अमरदीप चौधरी ने संतोष के गले में चाकू मार दिया तथा  संतोष को पकड़ कर अमरदीप एवं वैभव मोटरसाइकिल में बैठा कर आगे मंदिर के पास ले गए एवं पुनः मारपीट करते हुए संतोष के ऊपर पत्थर पटक दिया, आसपास के लोग इकट्ठा होने लगे तो भाग गए थे। विस्तृत जांच जारी है।

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See also  दिया था रामसेतु वाल्मीकि रामायण के अनुसार लंका पर चढ़ाई करते समय भगवान श्रीराम के कहने पर वानरों और भालुओं ने रामसेतु का निर्माण किया था, ये बात हम सभी जानते हैं। लेकिन जब श्रीराम विभीषण से मिलने दोबारा लंका गए, तब उन्होंने रामसेतु का एक हिस्सा स्वयं ही तोड़ दिया था, ये बात बहुत कम लोग जानते हैं। इससे जुड़ी कथा का वर्णन पद्म पुराण के सृष्टि खंड में मिलता है। श्रीराम इसलिए गए थे लंका पद्म पुराण के अनुसार, अयोध्या का राजा बनने के बाद एक दिन भगवान श्रीराम को विभीषण का विचार आया। उन्होंने सोचा कि- रावण की मृत्यु के बाद विभीषण किस तरह लंका का शासन कर रहे हैं, उन्हें कोई परेशानी तो नहीं है। जब श्रीराम ये सोच रहे थे, उसी समय वहां भरत भी आ गए। भरत के पूछने पर श्रीराम उन्हें पूरी बात बताई। ऐसा विचार मन में आने पर श्रीराम लंका जाने की सोचते हैं। भरत भी उनके साथ जाने को तैयार हो जाते हैं। अयोध्या की रक्षा का भार लक्ष्मण को सौंपकर श्रीराम व भरत पुष्पक विमान पर सवार होकर लंका जाते हैं। जब श्रीराम से मिले सुग्रीव और विभीषण जब श्रीराम व भरत पुष्पक विमान से लंका जा रहे होते हैं, रास्ते में किष्किंधा नगरी आती है। श्रीराम व भरत थोड़ी देर वहां ठहरते हैं और सुग्रीव से अन्य वानरों से भी मिलते हैं। जब सुग्रीव को पता चलता है कि श्रीराम व भरत विभीषण से मिलने लंका जा रहे हैं, तो वे उनके साथ हो जाते हैं। रास्ते में श्रीराम भरत को वह पुल दिखाते हैं, जो वानरों व भालुओं ने समुद्र पर बनाया था। जब विभीषण को पता चलता है कि श्रीराम, भरत व सुग्रीव लंका आ रहे हैं तो वे पूरे नगर को सजाने के लिए कहते हैं। विभीषण श्रीराम, भरत व सुग्रीव से मिलकर बहुत प्रसन्न होते हैं। श्रीराम ने इसलिए तोड़ा था सेतु श्रीराम तीन दिन तक लंका में ठहरते हैं और विभीषण को धर्म-अधर्म का ज्ञान देते हैं और कहते हैं कि तुम हमेशा धर्म पूर्वक इस नगर पर राज्य करना। जब श्रीराम पुन: अयोध्या जाने के लिए पुष्पक विमान पर बैठते हैं तो विभीषण उनसे कहता है कि- श्रीराम आपने जैसा मुझसे कहा है, ठीक उसी तरह मैं धर्म पूर्वक राज्य करूंगा। लेकिन इस सेतु (पुल) के मार्ग से जब मानव यहां आकर मुझे सताएंगे, उस स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए। विभीषण के ऐसा कहने पर श्रीराम ने अपने बाणों से उस सेतु के दो टुकड़े कर दिए। फिर तीन भाग करके बीच का हिस्सा भी अपने बाणों से तोड़ दिया। इस तरह स्वयं श्रीराम ने ही रामसेतु तोड़ा था।
Author: Manu Mishra 1 shramveerbharat news

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