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आंखों का रेटिना खराब कर सकता है सूर्य ग्रहण:4 घंटे 4 मिनट तक रहेगा, वेदशाला में सोलर फिल्टर युक्त चश्मों से देखें ग्रहण

आंखों का रेटिना खराब कर सकता है सूर्य ग्रहण:4 घंटे 4 मिनट तक रहेगा, वेदशाला में सोलर फिल्टर युक्त चश्मों से देखें ग्रहण

दीपावली के दूसरे दिन मंगलवार को आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। ग्रहण करीब 4 घंटे 4 मिनट तक रहेगा। इस दौरान मध्य की स्थिति बनने पर सूर्य का 63.2 प्रतिशत भाग ढंक जाएगा। ग्रहण की शुरुआत दोपहर 02:28:03 पर मध्य की स्थिति दोपहर 04:30:1 और शाम 06:32:01 पर होगा। ग्रहण यूरोप, मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका, पश्चिम एशिया, उत्तरी अटलांटिक महासागर उत्तरी हिन्द महासागर भारत में दिखेगा। भारत में इस खगोलीय घटना को अंडमान निकोबार द्वीप समूह तथा उत्तरी पूर्वी भारत को छोड़कर संपूर्ण भारत में देखा सकेगा। खगोल प्रेमी उज्जैन के वेधशाला में सोलर फिल्टर युक्त चश्मों से शाम 04:41:01 से शाम 05:53 तक ग्रहण देख सकेंगे।

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 25 अक्टूबर (मंगलवार) को खंडग्रास ग्रस्तास्त सूर्यग्रहण है। ग्रहण का प्रभाव भारत में देखा जा सकेगा। ग्रहण के दौरान श्री महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में श्रद्धालुओं का प्रवेश बंद रहेगा। वहीं, भगवान का स्पर्श भी नहीं होगा। ग्रहण समाप्ति के बाद पूरे मंदिर का शुद्धिकरण होने के बाद पूजन आरती होगी।

वेधशाला के अधीक्षक राजेंद्र गुप्त ने बताया की भारत में सूर्यग्रहण की शुरुआत उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर चलने पर शाम 04:20 से शाम 05:30 के मध्य स्थान की स्थिति के अनुसार होगा। मध्यप्रदेश में सूर्य ग्रहण की शुरुआत उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर चलने पर साथ 04:35 से साथ 04:50 के मध्य स्थान की स्थिति के अनुसार होगा। भोपाल में ग्रहण की शुरुाआत साथ 04:42:4 पर मध्य की स्थिति शाम 05:38 पर होगी। ग्रहण की स्थिति में ही भोपाल में शाम 05:47 पर सूर्यास्त हो जाएगा।

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कैसे होता है सूर्य ग्रहण
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो ग्रहण का लगना एक खगोलीय घटना है। जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के मध्य से होकर गुजरता है। सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है, तब चंद्रमा के पीछे सूर्य का बिंब कुछ समय के लिए ढक जाता है, इसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।

क्या है आंशिक सूर्य ग्रहण
आंशिक सूर्य ग्रहण उस समय होता है। जब चन्द्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में आंशिक रूप में आता है, जिससे पृथ्वी के स्थान विशेष से देखने पर सूर्य का कुछ भाग ढंका हुआ दिखाई देता है। इस प्रकार होने वाला ग्रहण आंशिक सूर्य ग्रहण कहलाता है।

उज्जैन में ग्रहण का समय

उज्जैन में ग्रहण की शुरुआत शाम 04:41:01 पर मध्य की स्थिति साथ 05:38 पर होगी। ग्रहण की स्थिति में ही उज्जैन में शाम 05:53 पर सूर्यास्त हो जाएगा। मध्य की स्थिति में सूर्य का 63.2 प्रतिशत भाग उज्जैन में ढंका हुआ दिखाई देगा। इस प्रकार उज्जैन में लगभग 1 घंटे ही ग्रहण को हम देख सकेंगे।

ग्रहण के दौरान महाकाल मंदिर में होगा ध्यान कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर खण्ड ग्रास ग्रस्तास्त सूर्य ग्रहण होने के कारण संध्या के समय महाकाल मंदिर के गर्भगृह में किसी का प्रवेश नहीं होगा। मंदिर के पुजारी आशीष पुजारी ने बताया कि ग्रहण काल के दौरान भगवान का स्पर्श नहीं किया जाता है। इस दौरान मंदिर से जुड़े पंडे-पुजारी जप तप व ध्यान कर भगवान की आराधना करते हैं। ग्रहण काल समाप्त होने के पश्चात सम्पूर्ण मंदिर का शुद्धिकरण होगा। इसके बाद श्री महाकालेश्वर भगवान का संध्या पूजन व आरती होगी। ग्रहण काल के दौरान केवल भगवान महाकाल के मंदिर के पट खुले रहेंगे। इस दौरान दर्शनार्थी दूर से भगवान के दर्शन कर सकते है। शहर के कई मंदिरों में पट होंगे

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सूर्य ग्रहण को देखने से आंखें डैमेज होने का खतरा

वेधशाला के अधीक्षक राजेन्द्र गुप्त ने बताया की सूर्य ग्रहण को नंगी आंखों से देखने की गलती बिलकुल नहीं करें। इससे आपकी आंखों का रेटिना डैमेज हो सकता है। जिससे धीरे-धीरे आंखे हमेशा के लिए जा सकती हैं। ग्रहण को देखने के एक्स-रे फिल्म का उपयोग नहीं करें, किसी चश्मे से भी नहीं देखें, सीधे सूर्य को देखने की कोशिश नहीं करें। ये आंखों के लिए घातक हो सकता है।
सूर्यग्रहण की आंशिक या वलयाकार स्थिति को कोरी आंखों से देखने का प्रयास नहीं करें।
टेलीस्कोप या बाइनोक्यूलर से सूर्य को कभी न देखें।
किसी भी ऐसे फिल्टर का इस्तेमाल न करें, जो सूर्य की दृश्य तीव्रता को कम कर देता है।
धूम्रयुक्त ग्लास, रंगीन फिल्म, सनग्लास, नॉन-सिल्वर ब्लैक एण्ड व्हाइट फिल्म, फोटोग्राफिक न्यूट्रल डेंसिटी फिल्टर या पोलराइजिंग फिल्टर एक्सरे फिल्म का इस्तेमाल न करें। ये सुरक्षित नहीं होते।
नेत्र गोलकों पर लगाए जाने वाले सौर फिल्टर का इस्तेमाल भी न करें जो सस्ते टेलीस्कोप के साथ बेचे जाते हैं।
ये सावधानी रखें

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सूर्य की केवल प्रक्षेपित छवि ही देखनी चाहिए।
सूर्य की छवि को एक पिन होल के जरिए छाया वाली दीवार पर प्रक्षेपित करें।
एक छोटे दर्पण को कागज के टुकड़े से ढके। इस कागज में 1 से 2 सेंटीमीटर व्यास का छिद्र बनाइए। कागज लगे इस दर्पण का प्रयोग कर दीवार पर सूर्य की प्रक्षेपित छवि को देखिए।
सूर्य की छवि को प्रक्षेपित करने के लिए एक छोटे टेलीस्कोप या बाइनोक्यूलर का प्रयोग किया जा सकता है।
आंशिक रूप से ग्रहण लगे सूर्य का प्रत्यक्ष दर्शन केवल वैज्ञानिक रूप से जांचे गए और सुरक्षित होने के प्रमाण वाले फिल्टर से देखना चाहिए। खरोंच वाले खराब फिल्टर का उपयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
ग्रहण को देखने के लिए केवल अपनी एक आंख का ही प्रयोग करना चाहिए।
ग्रहण देखने वालों को ग्रहण की पूर्ण दशा के आरंभ और समाप्ति की जानकारी देने के लिए एक अनुभवी व्यक्ति साथ हो।
ग्रहण समाप्ति पर रामघाट पर होगा स्नान
25 अक्टूबर अमावस्या को खण्डग्रास ग्रस्तास्त सूर्यग्रहण के संपन्न होने के बाद श्रद्धालु शुद्धि स्नान के लिए शिप्रा नदी पहुंचते हैं। ग्रहण मोक्ष के बाद श्रद्धालु रामघाट पर स्नान के बाद दान-पुण्य कर देव स्थलों पर दर्शन करेंगे। वहीं, शहर के वैष्णव मंदिरों में भी शुद्धिकरण के बाद भगवान के पट खोलकर पूजन-आरती होगी।

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